चेन्‍नई। भारतीय वायु सेना तमिलनाडु के कोयंबतूर में 27 मई को अपने 18वें बेड़े की ‘फ्लाइंग बुलेट’ को शुरू करेगी। यह बेड़ा चौथी पीढ़ी वाले स्वदेशी हल्‍के लड़ाकू विमान यानी एलसीए तेजस से लैस होगा। भारतीय वायुसेना के चीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया इस फ्लाइंग बुलेट को ऑपरेशनल करेंगे। कार्यक्रम का आयोजन कोयम्बटूर के पास सुलूर एयरफोर्स स्टेशन पर होगा।


तेजस को उड़ाने वाली वायुसेना की दूसरी स्क्वाड्रन

रक्षा मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि तेजस को उड़ाने वाली वायुसेना की यह दूसरी स्क्वाड्रन होगी। इससे पहले 45 वीं स्‍क्वाड्रन ऐसा कर चुकी है। इस 18वीं स्‍क्वाड्रन की स्थापना 1965 में की गई थी। यह बेड़ा पहले मिग-27 विमान उड़ा चुका है। इसका लक्ष्य वाक्य है ‘तीव्र और निर्भय’ के साथ… इस स्क्वाड्रन को इसी साल पहली अप्रैल को सुलूर में दोबारा शुरू किया गया था। बेड़े ने भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1971 में हुए युद्ध में हिस्सा लिया था।

दुश्‍मन को छकाने में सक्षम है तेजस


बता दें कि तेजस एक स्वदेशी चौथी पीढ़ी का टेललेस कंपाउंड डेल्टा विंग लड़ाकू विमान है। तेजस फ्लाई-बाय-वायर फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम, एकीकृत डिजिटल एवियोनिक्स, मल्टीमॉड रडार से लैस है। यह चौथी पीढ़ी के सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों की सीरिज का सबसे हल्का और सबसे छोटा विमान है।

हाल ही में देश में निर्मित हल्के लड़ाकू विमान तेजस के नौसैनिक संस्करण ने विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रमादित्य के ‘स्की-जंप’ डेक से सफलतापूर्वक उड़ान भरी थी। विमानवाहक पोत पर तेजस की सफल लैंडिंग और टेकऑफ के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया था जो ऐसे लड़ाकू विमानों की डिजाइन में सक्षम हैं और संचालन विमानवाही पोत से किया जा सकता है।

सरकारी विमान निर्माता कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिकल्स लिमिटेड (एचएएल) भी तेजस उत्‍पादन क्षमता बढ़ाने पर काम कर रही है। तेजस हल्‍का होने की वजह से तेजी दुश्‍मन को छकाने में सक्षम है।