बीजापुर। बीजापुर जिले में तेंदूपत्ता के नकद भुगतान की मांग को लेकर हजारों आदिवासियों ने सड़क पर उतरकर अनोखे तरीके से अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन का ऐलान कर दिया। आदिवासियों के आंदोलन और इस घोषणा के बाद मामला बिगड़ता देख जिला प्रशासन ने उच्च स्तरीय अधिकारियों को सूचना दी। इसके बाद बात सीएम तक पहुंची और उन्होंने लोगों की भावनाओं को देखते हुए उनकी मांगें पूरी करने और तत्काल नकद भुगतान करने की घोषणा की।

इससे पहले आदिवासी अपनी संस्कृति के अनुसार सभी देवी-देवताओं को गाजे-बाजे, लाव लश्कर के साथ रैली की शक्ल में बीजापुर पहुंचे। इसे लेकर नगर में तनाव बना रहा। ग्रामीणों के शहर में प्रवेश को रोकने प्रशासन ने जगह-जगह बैरिकेड्स लगाए गए थे, जिसे ग्रामीणों ने तोड़ दिया और शहर के अंदर घुस गए।

प्रशासन द्वारा जिला पंचायत ऑफिस और कलेक्टोरेट ऑफिस के गेट को बंद कर दिया गया। साथ ही सभी दुकानों को बंद कर दिया गया। इधर ग्रामीण जब प्रदर्शन के लिए कलेक्टोरेट नहीं जा सके तो वे इससे लगे मैदान के पास धरने पर बैठ गए। ग्रामीणों ने कहा कि वे अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए कल कलेक्टोरेट के सामने बैठकर धरना प्रदर्शन करेंगे।

मंत्री कवासी लखमा ने भी लिखा था मुख्यमंत्री को पत्र

सीएम भूपेश बघेल ने नक्सल प्रभावित सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर वनमंडल के तेंदूपत्ता संग्राहकों को पारिश्रमिक की राशि का नगद भुगतान करने की स्वीकृति दी है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने सोमवार को मुख्यमंत्री को इस संबंध में पत्र लिखकर अनुरोध किया था, जिसे सीएम ने तत्काल मंजूरी दे दी।

लखमा ने सीएम को लिखा कि वनमंडल सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर तीनों घोर संवेदनशील और नक्सल प्रभावित जिलों में हैं। इन तीनों जिलों में भी तेंदूपत्ता संग्रहण की पारिश्रमिक का भुगतान बैंक के माध्यम से करने का प्रावधान है। तेंदूपत्ता संग्राहकों और जनप्रतिनिधियों ने तेंदूपत्ता पारिश्रमिक का नगद भुगतान कराने का आग्रह किया है। संग्राहकों के पास आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक खाता नहीं होने के कारण बैंक के माध्यम से भुगतान में काफी दिक्कत होती है। मुख्यमंत्री ने संग्राहकों को बैंक से पारिश्रमिक से भुगतान के आदेश को निरस्त करते हुए सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर तीनों वनमंडलों में पारिश्रमिक की राशि का नगद भुगतान कराने के निर्देश दिए हैं।

ग्रामीणों ने कहा- नकद पैसा दें, चेक नहीं चाहिए

ग्रामीणो ने कहा कि उनकी मांग है कि उन्हें तेंदूपत्ता का नगद भुगतान किया जाए। बैंक से पैसा निकालने में उन्हें काफी परेशानी होती है। समय के साथ पैसे की भी बर्बादी होती है। नाराज ग्रामीणों ने कहा कि उन्हें चेक के माध्यम से पैसा दिया जाता है। इस पैसे को निकालने के लिए बैंको में लाइन लगानी पड़ती है। कई ग्रामीणों ने कहा कि उनके गांव से जिला मुख्यालय तक आवाजाही करने के लिए हर समय साधन नहीं मिलता है।