अतिक्रमण के पीछे सियासी गठजोड़, वोट बैंक बढ़ाने की साजिश

 

रायपुर। ओडिशा छत्तीसगढ़ सीमा में उदंती सीतानदी अभयारण्य के अंदरूनी इलाकों के बफर और कोर जोन में ओडिशा के सैकड़ों लोगों द्वारा घुसपैठ कर ​वन भूमि के अतिक्रमण करने का बड़ा मामला सामने आया है। इस मामले में वनमंत्री की सजगता की वजह से छत्तीसगढ़ की करीब 200 एकड़ से ज्यादा वनभूमि अतिक्रमणकारियों के हाथ जाने से बची गई। वनमंत्री मो अकबर के सख्त तेवर के बाद वनविभाग का अमला पिछले एक पखवाड़े से उदंती सीतानदी अभयारण्य की खाक छानता नजर आ रहा है।

टाइगर रिजर्व के रेंज अफसर सहित तीन निलंबित

टीआरपी की खबर पर वनमंत्री ने त्वरित कार्यवाही करते हुए दोषी अधिकारियों के कड़ी कार्यवाही की है। वन मंत्री के निर्देश पर पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ अतुल शुक्ला जांच के बाद इंदागांव बफर रेंज उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के रेंज अफसर नीलकंठ गंगवेर, पीपलखूंटा के रेंज असिस्टेंट चन्द्रशेखर ध्रुव और बीट गार्ड सत्यनारायण प्रधान को निलंबित कर दिया है।

इन गांवों में हुआ अतिक्रमण

इंदागांव परिक्षेत्र के कई वन कूप में अतिक्रमण हुए है; उनमें धनोरा , पीपलखूंटा, हल्दीकछार, राजपुर, हल्दीकछार, पुरीपत्थरा, कुसुमकरिया, धुरवा गुड़ी, इंदागांव,धनोरी आदि शामिल हैं।

देश भर में 12 लाख हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र अवैध कब्जे में

सरकार के आंकड़ों के मुताबिक साल 2019 अगस्त तक देश में लगभग 12.81 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र पर अवैध कब्जा हो चुका है। अनधिकृत कब्जे के दायरे में सर्वाधिक वनक्षेत्र वाले राज्य मध्य प्रदेश, असम और ओडिशा हैं। ओडिशा के लोगों की नजर अब छत्तीसढ़ पर लगी हुई है। यह जानकारी पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत दी गई है।

देश में कुल वन क्षेत्र लगभग 7.08 लाख वर्ग किमी

देश में कुल वन क्षेत्र लगभग 7.08 लाख वर्ग किमी है। यह देश के कुल क्षेत्रफल का 21.54 फीसदी है। सरकार ने मानकों के मुताबिक देश में वन क्षेत्र को 25 फीसदी तक ले जाने का लक्ष्य तय किया है, जिससे जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण प्रदूषण से जुड़े पेरिस समझौते के तहत भारत, पेड़ों के माध्यम से तीन अरब टन कार्बन अवशोषण क्षमता हासिल करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा कर सके।

मध्यप्रदेश, असम और ओडिशा में स्थित तेजी से साफ हो रहे जंगल

मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक वन क्षेत्रों में अवैध कब्जे के मामले में मध्य प्रदेश की स्थिति सबसे अधिक खराब है। राज्य में 5.34 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र पर अनधिकृत कब्जा है। यह राष्ट्रीय स्तर पर वन क्षेत्र के कब्जे का 41.68 फीसदी है। इसके बाद असम में 3.17 लाख हेक्टेयर और ओडिशा में 78.5 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र पर अवैध कब्जा है। स्पष्ट है कि राष्ट्रीय स्तर पर वन क्षेत्र के कब्जे में इन तीनों राज्यों की हिस्सेदारी 72.52 फीसदी है।

गोवा एकमात्र राज्य, जो वन क्षेत्र पर कब्जे से मुक्त

मंत्रालय के जवाब के मुताबिक गोवा एकमात्र राज्य है, जो वन क्षेत्र पर कब्जे से मुक्त है। इसके अलावा केन्द्र शासित क्षेत्र अंडमान निकोबार, दादर नगर हवेली और पुदुचेरी में भी वन क्षेत्र पर अवैध कब्जे की मात्रा शून्य बताई गई है।

 

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