नयी दिल्ली। भारत हीलियम-3 (Helium-3) प्राप्त करने के लिए 10 साल में चंद्रमा की सतह पर एक बेस स्थापित करने में सक्षम हो जाएगा। सोमवार को ये दावा डीआरडीओ (DRDO) के पूर्व वैज्ञानिक एवं ब्रह्मोस मिसाइल कार्यक्रम का नेतृत्व करने वाले ए शिवतनु पिल्लई ने किया। वरिष्ठ वैज्ञानिक पिल्लई ने कहा कि हीलियम-3 (Helium-3) भविष्य की ऊर्जा का नया स्रोत है।

क्या है हीलियम-3

हीलियम-3 (Helium-3) एक गैर रेडियोसक्रिय पदार्थ है जो यूरेनियम की तुलना में 100 गुना अधिक ऊर्जा पैदा कर सकता है। एक कार्यक्रम में पिल्लई ने कहा, अंतरिक्ष कार्यक्रम में, हम उन चार देशों में शामिल हैं जिन्होंने प्रौद्योगिकी को लेकर महारत हासिल की है। कार्यक्रम में कहा गया है, भारत बहुमूल्य कच्चे माल (हीलियम-3 के) के प्रचुर भंडार का प्रोसेस करने के लिए चंद्रमा पर एक फैक्टरी स्थापित करने और उससे प्राप्त किये गये हीलियम-3 (Helium-3) को पृथ्वी पर लाने में सक्षम हो जाएगा। पिल्लई ने कहा कि चंद्रमा पर भारत का बेस सौरमंडल में अन्य ग्रहों पर अभियानों के लिए भविष्य के प्रक्षेपणों का एक केंद्र बन जाएगा।

बहुत बड़ी सफलता होगी ये

जानकारों का कहना है कि अगर ऐसा होता है तो भारत दुनिया की एक बेहद ताकतवर महाशक्ति बनकर उभरेगा। इसमें किसी को भी कोई संदेह नहीं है। हीलियम-3(Helium-3) का उत्पादन इस लिए किया जाएगा कि इससे दुनिया अपनी ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करेगी।

Chhattisgarh से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Twitter पर Follow करें और Youtube  पर हमें subscribe करें। एक ही क्लिक में पढ़ें  The Rural Press की सारी खबरें।