उचित शर्मा


कोरोनावायरस महामारी के इस दौर में जहां करोड़ों लोग बेरोजगारी गरीबी और परेशानी के बीच अपने मूल राज्य और गांव की ओर लौट रहे हैं सरकार और मीडिया इन्हें प्रवासी मजदूर का नाम से संबोधित कर रही हैं। अपने ही देश से एक हिस्से से दूसरे हिस्से में अपने घर जा रहे हैं, इन्हें प्रवासी कहना इनका अपमान है।

प्रवासी तो वह है जो ना वोट देते हैं ना ही देश प्रति जिम्मेदार हैं और हमारे टैक्स पर निर्भर प्रतिष्ठित संस्थानों से उच्च शिक्षा करने के पश्चात प्राप्त पैसा कमाने विदेश चले जाते हैं और वर्तमान में जिन्हें वंदे मातरम अभियान के तहत भारत लाया जा रहा है।


प्रत्येक राज्य से मजदूरों के कार्य क्षेत्र से अपने घर वापसी के समाचार आ रहे हैं। जिनमें कुछ समाचार तो वाकई दुखद हैं,अहमदाबाद में मजदूरों की गिरफ्तारी ,रीवा लाठीचार्ज, उत्तर प्रदेश की सीमा अस्थायी बंद, सड़कों में दुर्घटना इत्यादि।


ट्रक ड्राइवर द्वारा इन मजदूरों से रकम वसूली के भी समाचार हैं। इस मामले में छत्तीसगढ़ की जनता द्वारा किए गए कार्य इस राज्य के उच्च मानवीय मूल्य दर्शाते हैं। मध्य प्रदेश के सीमा से प्रवेश कर रहे मजदूरों को चरण पादुका देना, महाराष्ट्र सीमा प्रवेश कर रहे हैं मजदूरों की जांच एवं खाद्य सामग्री देना, पूरे राज्य में राजमार्गों किनारे जगह जगह पर समाजसेवी द्वारा हर संभव सहायता दिया जाना इसकी कड़ी है।

राजधानी का टाटीबंध चौक ने अपने सकारात्मक पहल से सेवा भाव के उच्च मापदण्ड को को छू कर राष्ट्रीय पहचान बनाई। सिख समाज और अन्य समाज का समर्पण और प्रतिबद्धता अद्वितीय है। प्रशासन, आरटीओ व अन्य विभाग भी सहयोग कर रहे हैं। खाना, पानी, परिवहन मुहैया कराया जा रहा है। ऐसी समर्पित भावना संभवतः ही कोई मजदूर भूल पाए।


पूरे लाक डाउन में कभी भी प्रशासन और पुलिस ने न ही रहवासी न ही पैदल यात्री मजदूरों पर कोई बल प्रयोग किया, इसके लिए निसंदेह पुलिस के मुखिया की सराहना किया जाना चाहिए।
राजमार्ग के किनारे भोजन के लिए समाजसेवी राज्य को गौरवान्वित कर राज्य के संस्कारवान होने का एहसास करा रहे हैं। सरगुजा भाजपा ट्रैक्टर ट्राली में मजदूरों के फासलों को कम करा रहे हैं।


चिकित्सा के मामले में राज्य का सिरमौर बना एम्स के मुखिया डॉक्टर नागरकर अपनी टीम के साथ न सिर्फ जल्द मरीजों को ठीक कर रहे हैं बल्कि शून्य मृत्यु दर का लक्ष्य भी आज तक कायम रखे हुए हैं। तरुण अवस्था के एनसीसी के छात्र यातायात व्यवस्था संभाल कर जिम्मेदार होने का परिचय दे रहे हैं। प्रशासन के मुखिया भी कर्तव्य निर्वहन में खरे साबित हुए।


‘यूँ ही मशहूर नहीं होते लोग,
यहाँ की मिट्टी में संस्कार बहुत हैं।
मुस्कुराइए आप छत्तीसगढ़ी हैं…’