भोपाल। साध्वी प्रज्ञा की पहली गिरफ्तारी कांग्रेस नहीं, भाजपा सरकार के वक्त हुई थी। 2008 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल के दौरान आरएसएस प्रचारक सुनील जोशी की हत्याके आरोप में साध्वी प्रज्ञा समेत 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। सुनील जोशी आरएसएस के प्रचारक थे। जो 29 दिसंबर, 2007 को देवास में मारे गए थे। उनका नाम मक्का मस्जिद, समझौता और मालेगांव विस्फोट मामलों में सामने आया था।

क्या हुआ था सुनील जोशी हत्या केस में?

इस केस में देवास पुलिस ने प्रज्ञा ठाकुर और दूसरे लोगों को 23 अक्टूबर, 2008 को गिरफ्तार किया था। बाद में देवास एसपी के आदेश पर 25 मार्च, 2009 को केस बंद कर दिया गया। सुनील जोशी पर समझौता ब्लास्ट केस में शामिल होने के आरोप थे। नई दिल्ली से लाहौर जाने वाली समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में पानीपत के पास 18 फरवरी, 2007 को बम धमाका हुआ था। इसमें 68 लोग मारे गए थे। मरने वालों में ज्यादातर पाकिस्तानी नागरिक थे। मध्य प्रदेश पुलिस ने 9 जुलाई, 2010 को एक बार इस केस की जांच करने का फैसला लिया और कोर्ट में चार्जशीट फाइल की। चार्जशीट में मध्य प्रदेश पुलिस ने कहा कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और उनके चार साथियों ने ही सुनील जोशी की हत्या की है। इस चार्जशीट के आधार पर पुलिस ने 26 फरवरी, 2011 को साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ कोर्ट से अरेस्ट वारंट हासिल किया। हालांकि उस दौरान साध्वी प्रज्ञा मालेगांव बमधमाकों के आरोप में जेल में ही थीं।

मध्य प्रदेश पुलिस की चार्जशीट में क्या था?

आरएसएस के प्रचारक सुनील जोशी की हत्या के मामले में एमपी पुलिस ने 432 पेज की चार्जशीट फाइल की। चार्जशीट न्यायिक मजिस्ट्रेट पद्मेश शाह की अदालत में दाखिल की गई। चार्जशीट में 124 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे। प्रज्ञा ठाकुर, आनंद राज कटारिया, हर्षद सोलंकी, वासुदेव परमार, रामचंद्र पटेल, मेहुल और राकेश के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया। इन पर हत्या, आपराधिक साजिश और आर्म्स एक्ट के इल्जाम लगाए गए। रिपोर्ट के मुताबिक सुनील जोशी की हत्या की एक और वजह चार्जशीट में बताई गई। चार्जशीट के अनुसार सुनील जोशी देवास में हर्षद, मेहुल, राकेश और उस्ताद के साथ छिपा था। इन चारों के साथ सुनील जोशी अक्सर दुर्व्यवहार करता था। इन सबके नाम वडोदरा के बेस्ट बेकरी केस में आए थे। बेस्ट बेकरी में 1 मार्च, 2001 को गुजरात दंगों के वक्त 14 लोग जिंदा जला दिए गए थे।चार्जशीट में एक और दावा किया गया था कि सुनील जोशी की हत्या वाले दिन साध्वी प्रज्ञा ठाकुर इंदौर में थीं। उनके मोबाइल रिकॉर्ड से इस बात का भी पता चलता है कि वो हत्या के दूसरे आरोपियों के संपर्क में थीं। जोशी की हत्या के बाद प्रज्ञा ठाकुर संदिग्धों में सबसे ऊपर थीं।

बीजेपी सरकार में क्या हुआ?

2014 में 23 मई को नरेंद्र मोदी की सरकार केंद्र में सत्ता में आई। इसके तीन महीने बाद 19 अगस्त, 2014 को इस केस को एक बार फिर देवास जिला अदालत में ट्रांसफर कर दिया गया। सितंबर, 2015 में देवास कोर्ट ने 8 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए। साध्वी प्रज्ञा पर हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप लगा। बाद में 1 फरवरी, 2017 को एडीजे राजीव कुमार आप्टे ने इस केस में सभी आरोपियों को बरी कर दिया। साध्वी पर छत्तीसगढ़ के बिलाईगढ् में शैलेन्द्र देवांगन नामक युवक को चाकू मारने पर जुर्म दर्ज है   Chhattisgarh से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें  Facebook पर Like करें, Twitter पर Follow करें  और Youtube  पर हमें subscribe करें।