रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने प. बंगाल के दागी डॉक्टर दिव्येंदु मजूमदार को डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया

में बतौर सदस्य नामित किया है। सीबीआई और एसीबी द्वारा इनपर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया है।

 

इस नियुक्ति के बाद से राज्य के चिकित्सकों में काफी आक्रोश है। इतना ही नहीं इस नियुक्ति ने राज्य के

चिकित्सकों की काबिलियत पर प्रश्न खड़ा कर दिया है। यहां के चिकित्सकों का कहना है कि क्या प्रदेश में

एक भी काबिल डॉक्टर नहीं है जिसे सदस्य बनाकर जीसीआई भेजा जाए।

 

 बंगाल के निवासी है डॉ मजूमदार :

दरअसल डॉ दिव्येंदु मजूमदार रहने वाले बंगाल के हैं। जयपुर में वे बतौर प्रोफेसर छात्रों को पढ़ाते हैं।

मगर छत्तीसगढ़ में उनकी इस तरह से की गई नियुक्ति स्वयं ही संदेह के दायरे में आ जाती है। नियमतः

सदस्य को छत्तीसगढ़ का ही निवासी होना अनिवार्य है।

 

उत्तर प्रदेश और राजस्थान ने किया सदस्यता देने से इंकार :

हैरत की बात यह है कि डॉ मजूदार ने छत्तीसगढ़ से पहले उत्तर प्रदेश और राजस्थान में सदस्य बनने

की कोशिश की जहां उन्हें सदस्यता नहीं मिली। पश्चिम बंगाल में कार्यकाल खत्म होने के बाद जब

सरकार ने सरकारी मुलाजिम होने का हवाला देते हुए डॉ.मजूमदार को दुबारा कार्यकाल देने से इंकार

कर दिया तो उन्होंने उत्तर प्रदेश की ओर रूख किया। मुरादाबाद के कॉलेज में खुद को प्रोफेसर बताते

हुए उन्होंने सदस्य बनाने का आग्रह किया मगर उन्हें उत्तर प्रदेश से भी सदस्यता नहीं मिल सकी।

 

राजस्थान के महात्मा गांधी डेंटल कॉलेज में हैं प्रोफेसर :

उत्तर प्रदेश के बाद डॉ मजूमदार राजस्थान पहुंचे जहां महात्मा गांधी डेंटल कालेज में विजिटिंग प्रोफेसर

के तौर पर ज्वाइन किया और डीसीआई का सदस्य बनना चाहा परंतु सरकार ने रूचि नही दिखाई।

हारकर उन्होंने छत्तीसगढ़ की शरण ली। हैरत की बात यह है कि जिन्हें कई राज्यों ने डीसीआई में

शामिल नहीं किया उन्हें छत्तीसगढ़ में बड़ी आसानी से सदस्यता मिल गई।

 

झारखंड में डॉ मजूमदार के खिलाफ दर्ज है प्रकरण :

झारखण्ड में चल रहे एक प्रकरण में डॉ. दिव्येंदु मजुमदार सीबीआई के अभियुक्त हैं। उन पर सीबीआई

व एसीबी ने भ्रष्टाचार और जालसाजी करने के आरोप में एक प्रकरण क्रमांक RC2162017A0002 दर्ज

कर रखा है। उन पर पश्चिम बंगाल के स्थायी निवासी होने के फर्जी पता देने का आरोप है। उनका डॉक्टरी

का रजिस्ट्रेशन भी पश्चिम बंगाल का है।

 

उठ रहे हैं कई सवाल :

क्या ऐसे दागी डॉक्टर जिनपर सीबीआई द्वारा भ्रष्टाचार का मामला दर्ज है उसे डीसीआई का सदस्य बनाया

जा सकता है छत्तीसगढ़ में क्या अनुभवी चिकित्सकों की कमी है क्या वह रिश्वत देकर डीसीआई का सदस्य

बना है! ऐसे तमाम सवाल डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष डॉ. दिव्येंदु मजूमदार के छत्तीसगढ़

से चयन होने के बाद उठाये गये हैं.

 

केंद्र से लेकर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग तक शिकायत :

इस मामले में आरटीआई कार्यकर्ता डॉ. अनिल खाखरिया ने स्वास्थ्य मंत्रालय से लेकर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग

व राज्यपाल तक शिकायत की है। इसमें उन्होंने कहा कि झारखण्ड में एक प्रकरण में डॉ. दिव्येंदु मजुमदार

सीबीआई के अभियुक्त हैं। उन पर सीबीआई व एसीबी ने भ्रष्टाचार और जालसाजी करने के आरोप में प्रकरण

दर्ज किया है। उनका डॉक्टरी का रजिस्ट्रेशन प.बंगाल का है। छत्तीसगढ़ में वे डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया

में सदस्य हो गए।

प्रदेश के चिकित्सकों को आक्रोशडॉ. खाखरिया ने कहा कि सरकार चाहे तो डॉ.मजूमदार को हटाकर प्रदेश के

किसी डॉक्टर को सदस्य बनाए जाए तो अच्छा होगा। इधर प्रदेश के वरिष्ठ डॉक्टरों में इस नियुक्ति को लेकर

निराशा है। उन्होंने सवाल उठाया है कि क्या राज्य में अनुभवी डॉक्टरों की कमी है, जो बाहर के लोगों को

सदस्य बनाया जा रहा है।

 

क्या कहता है नियम :

65 वर्ष की आयु पूरी करने वाला कोई भी डॉक्टर दंत परिषद का सदस्य नही बन सकता जबकि मजूमदार

65 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं। DCI विनियमों के अनुसार, उन्हें विश्वविद्यालय अधिनियम के प्रावधानों के

अनुसार भी किसी भी विश्वविद्यालय के दंत शिक्षक / संकाय के रूप में नहीं माना जा सकता है। दंत चिकितसा

अधिनियम, 1948 के प्रावधान के अनुसार, केंद्र सरकार को परिषद का गठन करने का अधिकार देता है और

परिषद के सदस्य की सदस्यता केवल तभी मान्य होती है, जब वह केंद्र सरकार द्वारा एक आदेश या अधिसूचना

द्वारा नियुक्त किया जाता है। केंद्र सरकार की अधिसूचना के बिना डीसीआई अपनी वेबसाइट पर सदस्यों के

नामों को सूचित करने के लिए वैध नही है लेकिन डॉ मजूमदार का नाम दिया गया है। मंत्रालय के पत्र

क्रमांक ११२०२५ / १२० / २०१ ९-डीए में दिनांक ११ सितंबर २०१९ को इसका खुलासा किया गया था।

 

क्या कहते हैं जिम्मेदार :

दागी डॉक्टर दिव्येंदु मजूमदार की नियुक्ति के संबंध में जिम्मेदार अधिकारियों ने अपना पल्ला झाड़ लिया है।

इस मामले में हेल्थ डारेक्टर निरज बंसोड़ व रजिस्ट्रार डॉ. श्रीकांत राजिमवाले कुछ भी कहने से इंकार कर रहे

हैं। इसके अलावा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के हॉस्पीटल बोर्ड के अध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता ने इस नियुक्ति

के संबंध में जानकारी न होने की बात कही है।

 

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