रायपुर। 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में रायगढ़ की 2.5 प्रतिशत जनता यानि 28 हजार लोगों ने नोटा का बटन दबाया था। उस वक्त यहां मैदान में कुल 8 प्रत्याशी थे। उस वक्त जिले में 12.46 लाख मतदाता थे। इनमें से 28 हजार 476 लोगों ने नोटा का बटन दबाया। इस मामले में कांग्रेस के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने मतदाताओं का व्यक्तिगत विचार माना है। उन्होंने कहा कि ये जनता का अधिकार है। उसे लगा कि इन उम्मीदवारों में से कोई भी योग्य नहीं है, लिहाजा उसे संविधान ने ये अधिकार दिए हैं। उन्होंने इसका उपयोग करना उचित सम­ाा होगा।

लोक के निजी विचार हैं: अजीत जोगी

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा कि ये लोक के निजी विचार हैं। संविधान ने उनको ये अधिकार दिए हैं कि अगर लोक को लगता है कि इनमें से कोई भी उम्मीदवार पसंद का नहीं है तो फिर ये उसका उपयोग कर सकते हैं। अलबत्ता इस मामले में ज्यादातर लोग तो अज्ञानतावश ही इसे दबा दिया करते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए, लोकतंत्र में हर एक वोट जरूरी है। वही एक मत देश की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सियासत में आसन्न संकट का संकेत है। इस आहट को सम­ाना होगा।

ये जनता का व्यक्तिगत ख्याल: मोतीलाल साहू

प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष मोतीलाल साहू ने इस पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसा होना नि: संदेह चिंता का विषय है। कहीं न कहीं तो लोगोंं के मन में पीड़ा रही होगी। यही कारण है कि उन लोगों ने नोटा का बटन दबाया होगा। प्रत्याशियों को इस पर मंथन करने की जरूरत है। तो वहीं जनता का ये आक्रोश शासन -प्रशासन की नाकामी की ओर भी इशारा करता है।

जनता की निराशा को दर्शाता है: अनुराग सिंहदेव

भाजपा के प्रदेश मंत्री अनुराग सिंहदेव ने कहा कि इतनी बड़ी तादाद में लोगों का नोटा दबाना, जनता की निराशा को दर्शाता है। कुछ तो परेशानियां रही होंगी। उसे सम­ाना वहां के राजनेताओं का काम है। ऐसे में कोशिश यही होनी चाहिए कि कम से कम सभी मिलकर ऐसा प्रयास करें कि जनता का आक्रोश दूर हो। उनकी परेशानियों से निकालने के लिए सार्थक प्रयास किए जाने चाहिए।

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