13 देश करते हैं चक्रवातों का नामकरण, जानें पुराने तूफानों से लेकर cyclone tauktae तक की कहानी
13 देश करते हैं चक्रवातों का नामकरण, जानें पुराने तूफानों से लेकर cyclone tauktae तक की कहानी

टीआरपी न्यूज। भारत में इस साल के पहले चक्रवाती तूफान ने दस्तक दे दी है। ताउते नाम के इस चक्रवात को लेकर मौसम विभाग ने हाई अलर्ट जारी किया है। इसके मंगलवार तक गुजरात तट से टकराने की संभावना है। इसके चलते गुजरात और दीव के समुद्र तटों पर निगरानी रखी जा रही है।

वैसे, हरेक चक्रवात का नाम निर्धारित करने के पीछे एक खास प्रक्रिया है। इसका नाम म्यांमार ने दिया था। यह बर्मी शब्द है, जिसका मतलब है – अधिक शोर करने वाली छिपकली।

13 देशों ने दिए 169 नाम

चक्रवातों का नाम विश्व मौसम विभाग/संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग एशिया व प्रशांत (डब्ल्यूएमओ/ईएससीएपी) पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन (पीटीसी) द्वारा किया जाता है। इस पैनल में 13 देश हैं।

इनमें भारत, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, पाकिस्तान, मालदीव, ओमान, श्रीलंका, थाईलैंड, ईरान, कतर, सउदी अरब, यूएई और यमन शामिल हैं। ये देश तूफान के नामकरण का सुझाव देते हैं। पिछले साल हरेक देश ने 13 नाम सुझाए थे। इसके चलते चक्रवातों के 169 नामों की सूची बनी थी।

इससे पहले 2004 में इस समूह में शामिल आठ देशों ने 64 नामों की सूची को अंतिम रूप दिया था। तब हरेक देश से आठ नाम आए थे। पिछले साल मई में भारत में आया चक्रवात अम्फान उस सूची में अंतिम नाम था। वहीं, इस सूची में पहला नाम निसर्ग का है, जो अरब सागर से उठा था। इसका नाम बांग्लादेश ने रखा था। नामकरण के लिए हर बार अलग देश का नंबर आता है।

चक्रवातों के नामकरण का फायदा

नामकरण से वैज्ञानिक, विशेषज्ञ, आपदा प्रबंधक टीमों और आम जनता के लिए चक्रवातों को पहचानने व समझने में मदद मिलती है। अगर किसी क्षेत्र में दो तूफान एक साथ आ रहे हों तो इससे भ्रम की स्थिति नहीं बनती। आपदा चेतावनियां जारी करने और भविष्य में पिछले चक्रवातों का उल्लेख करने में नामकरण के कारण आसानी होती है।

नाम रखने का मानदंड

चक्रवातों का नाम सरल और छोटा रखा जाता है। यह ध्यान रखा जाता है कि इनका अर्थ सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील न हो या इनका भड़काऊ अर्थ न हो।

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