किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ से एमबीबीएस की डिग्री लेते हुए एक लड़की बतौर चिकित्सक इंटर्नशिप कर रहीं थीं इसी दौरान लखनऊ की झुग्गी-झोपड़ियों में वह चेकअप के लिए पहुँचती है और देखती है एक महिला खुद और बच्चों को गंदा पानी पिला रही थी. यह देख विचलित होकर उसने सवाल पूछा-गंदा पानी क्यों पी रही हो. महिला ने आँख दिखा कर तपाक से कह दिया-क्या तुम कहीं की कलेक्टर हो. यह ताना उस लड़की के दिल में चुभ गया फिर क्या था दिन रात एक कर दी और अपने पापा की बिटिया आईएएस अफसर बन गई। जी हां आपको कहानी सुना रहा हूं आईएस प्रियंका शुक्ला की.

इस आईएस अफसर की पहचान इनके ही शब्दों में माने जो ट्वीटर पर लिखी है वो कुछ ऐसी है MBBS by education, IAS officer by job. Painter, Singer, Contemporary Dancer, Calligrapher, Doodler & Culinarian by passion. Poet at heart. Views personal. 2009 कैडर की आईएएस प्रियंका शुक्ला वर्तमान में छत्तीसगढ़ शासन में स्वस्थ विभाग के सयुंक्त सचिव जैसे अहम् पद पर अपनी सेवाएं दे रही है। जितना खास इनका काम करने का तरीका है उतनी ही ख़ास इनकी आईएस बनने की कहानी है। प्रियंका शुक्ला के आईएएस बनने के दो दिलचस्प वाकये हैं. पहला वाकया बचपन का है. जब प्रियंका के पिता उत्तराखंड में सरकारी नौकरी करते थे. तब परिवार हरिद्वार में रहता था.

इस दौरान जब पिता बिटिया प्रियंका को लेकर हरिद्वार कलेक्टर के दफ्तर और आवास की तरफ से गुजरते थे तो कहते थे-बेटी मैं भी दीवार पर टंगी नेमप्लेट पर इसी तरह तुम्हारा नाम देखना चाहता हूं. उस वक्त से प्रियंका ने कलेक्टर बनने का सपना देखना शुरू किया. दूसरा वाकया लखनऊ से जुड़ा है. जब प्रियंका शुक्ला ने 2006 में किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की इस दौरान बतौर चिकित्सक इंटर्नशिप कर रहीं थीं तो लखनऊ में झुग्गी-झोपड़ियों में वह चेकअप के लिए पहुंचीं .

इस दौरान एक महिला खुद भी गन्दा पी रही थी और बच्चों को भी गंदा पानी पिला रही थी. यह देख प्रियंका ने सवाल पूछा-गंदा पानी क्यों पी रही हो. यह सुनकर उस महिला ने कह दिया-क्या तुम कही की कलेक्टर हो….यह घटना प्रियंका को अंदर तक छू जाती है गई…लगा कि अब आईएएस बनना है. इसके बाद वह संघ लोकसेवा आयोग की परीक्षा की तैयारियों में जुट गईं. आखिर दूसरे प्रयास में वह सफल हो गईं. 2009 काडर की आईएएस बनीं. और आठ अप्रैल 2016 से छत्तीसगढ़ जशपुर जिले की कलेक्टर बनी.

ब्यूरोक्रेसी में एक बात कही जाती है- “अगर कोई आईएएस इनोवेशन नहीं करता…कुछ नया नहीं करता….लीक पर चल रहे सिस्टम को बदलने की कोशिश नहीं करता तो उसमें और किसी बाबू( क्लर्क) में कोई फर्क नहीं है.” मगर प्रियंका शुक्ला देश की उन चुनिंदा आईएएस अफसरों में शुमार हैं, जो अपने इनोवेशन के लिए जानीं जातीं हैं. इस वजह से अब तक दो-दो बार राष्ट्रपति से लेकर कई पुरस्कार हासिल कर चुकीं हैं.

जशपुर की कलेक्टर होते हुए प्रियंका अधिक से अधिक मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए नए-नए जतन करती दिखी थी .उन्होंने चुनाव अभियान से जुड़े अफसरों, कर्मियों और अन्य संगठनों को लोगों को एकजुट किया. फिर खुद पहले हेलमेट पहनीं और फिर बाइक(स्कूटी नहीं) स्टार्ट कर निकल पड़ीं मतदाताओं को जगाने. अभियान को नाम दिया एक जशपुर-एक प्रण. खास बात रही कि बाईक रैली को हरी झंडी दिखाने के लिए उन्होंने शहीद बनमाली की पत्नी जितेश्वरी यादव को आमंत्रित किया. मकसद रहा कि इसी बहाने एक शहीद की बेवा का सम्मान हो सके.

प्रियंका शुक्ला जशपुर में डीएम रहते एक बार और चर्चा में आईं थीं, जब सरकारी दौरे से लौटते समय उनकी इनोवा कार से रोशन नामक बच्चे को टक्कर लग गई थी. उस वक्त प्रियंका ने बच्चे को पहले अस्पताल में आईसीयू में भर्ती कराया और फिर गाड़ी लेकर थाने पहुंची और पुलिस के हवाले कर दिया. उस वक्त कलेक्टर की गाड़ी चला रहे ड्राइवर के खिलाफ केस हुआ. हालांकि बच्चे की बाद में इलाज के दौरान मौत हो गई थी.

बतौर आईएएस लीक से हटकर काम के चलते प्रियंका शुक्ला को अब सर्विस में कई अवार्ड मिल चुके हैं. वर्ष 2011 में उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने ‘सेंसस सिल्वर मेडल’ से नवाजा था, जब उन्होंने सेंसस 2011 को बेहतर तरीके से क्रियान्वित किया था. दो साल बाद जब 2013 का विधानसभा चुनाव आया तो उन्होंने मतदान के लिए जागरूकता फैलाने के लिए नई-नई पहल कर लोगों को प्रेरित किया. जिस पर चुनाव आयोग से जहां स्पेशल अवार्ड मिला, वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान किए कार्य के लिए प्रशंसा पत्र मिला.

राजनांदगांव जिले की सीईओ रहते हुए जिले की साक्षरता बढ़ाने की दिशा में काम के चलते एक बार और राष्ट्रपति से मेडल मिला. इसके अलावा खुले में गांवों को शौचमुक्त करने सहित कई योजनाओं को बेहतर ढंग से धरातल पर उतारने के लिए राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर के कई पुरस्कारों की वह हकदार बनीं. जशपुर में मनरेगा के लिए भी राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार मिल चुका है. जशपुर की कलेक्टर बनने से पहले शुक्ला CSSDA की एमडी रहीं. 2009 में आईएएस बनने के बाद ट्रेनिंग खत्म हुई तो पहली पोस्टिंग 2011 में सरायपाली के एसडीएम के रूप में मिली थी.

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