रायपुर। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वन विभाग के वन मंडलाधिकारियों की बैठक ली। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने बैठक में अधिकारियों से सवाल किया कि वनों के संरक्षण, संवर्धन के लिए क्या किया जा रहा है ? अभी तक प्रदेश में वनोपज पर आधारित कितने लघु उद्योग स्थापित किए गए है? वनोपज पर आधारित कौन-कौन सी औषधियां बनाई जा रही हैं?

सीएम के सवाल
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वन अधिकारियों की बैठक लेते हुए उनसे कई सवाल किए। कल्लू गोंद, महूआ और चरोटा बीज से और क्या-क्या उत्पाद बनाया जा सकता है? यह बताएं जाने पर कि चरोटा बीज से ऑयल बनता है। इसका उपयोग कास्मेटिक सहित अन्य उपयोग में लाया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने ऐसे वन उत्पादों को बढ़ावा देने को कहा। उन्होंने पूछा कि नारायणपुर के समीप आंवला जंगल की जानकारी ली।

बांस उद्योग पर कार्ययोजना
बघेल ने पूछा कि छत्तीसगढ़ में बांस के जुड़े कौन-कौन से उद्योग हो सकते हैं? कहां-कहां लगाये जा सकते हैं, कहां-कहां इसकी उपलब्धता है? उन्होंने इस संबंध में विस्तार से मास्टर प्लान बनाने और रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। यह रिपोर्ट 15 दिनों में दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने वनोपज पर आधारित औषधि बनाने तथा अन्य उत्पाद बनाने की कम्पनियों से टाईअप करने को कहा। इससे छत्तीसगढ़ के स्थानीय नागरिकों को रोजगार मिलेगा और यहां के वनोपज से विभिन्न उत्पाद बनाए जा सकते हैं।

इमली बीज से स्टार्च 
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से पूछा कि बस्तर में बड़ी संख्या में उत्पादित होने वाली ईमली से क्या-क्या बना सकते हैं? यह बताएं जाने पर कि इसके बीज से स्टार्च भी बनता है। उन्होंने पूछा फिर छत्तीसगढ़ में प्लांट क्यों नहीं लगाया जा सकता। उन्होंने बस्तर के सभी वन विभाग के अधिकारियों को एक माह के भीतर इसका प्लान बनाकर देने को कहा। इस दौरान उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में हर्रा, बेहड़ा, आवला, तिखुर, हल्दी जैसे वनों उत्पाद का बड़ी संख्या में नैसर्गिक एवं प्राकृतिक वातावरण में जैविक रूप से उत्पादन होता है। इनका देश के राजधानी दिल्ली सहित अन्य स्थानों में बेहतर मार्केटिंग करने की जरूरत है।