रायपुर। केंद्र और भाजपा शासित तमाम राज्यों में दागी- अकर्मण्य तथा 50 साल से ज्यादा की आयु पार कर चुके, उम्रदराज अधिकारियों-कर्मचारियों की मॉनिटरिंग की जा रही है। उत्तर प्रदेश में 30 जून तक यह कार्य कर लिया जाएगा ऐसे लोगों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी। ये आदेश वहां के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जारी कर दिया है, और मुख्य सचिव अनूप चंद पाण्डेय इसके क्रियान्वयन में जुटे हैं। तो वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव सुनील कुजूर इससे इत्तेफाक नहीं रखते। उनका कहना है कि उनके प्रदेश का कार्य ठीक तरह से चल रहा है। ऐसे में इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। दागी-अकर्मण्य और बूढे हो चले अधिकारियों कर्मचारियों की अनिवार्य सेवा निवृत्ति कितनी जरूरी है, इसी विषय पर जानते हैं तमाम लोगों की राय:
अनिवार्य सेवा निवृत्ति निहायत जरूरी: अजीत जोगी
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी के संस्थापक और प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे अजीत जोगी का कहना है कि ये निहायत जरूरी है। जिनका सीआर खराब हो और जो काम ही न करना चाहते हों ऐसे लोगों को सरकार आखिर कब तक ढोएगी। उनको अनिवार्य सेवा निवृत्ति दे देनी चाहिए। छत्तीसगढ़ में भी ऐसा किया जाना निहायत जरूरी है।
ऐसी कोई बात होगी तो बताऊंगा: ताम्रध्वज साहू
गृह जेल और धर्मस्व मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि छत्तीसगढ़ में ऐसी कोई भी बात नहीं है, अगर होगी तो जरूर बताऊंगा।
कार्य क्षमता का आंकलन होना जरूरी: संजय श्रीवास्तव
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा कि अधिकारियों-कर्मचारियों की कार्य क्षमता का आंकलन होना निहायत जरूरी है। व्यवस्था में कसावट लाने के लिए ऐसे कार्य लगातार होने चाहिए। इससे काम में गति आएगी।
पैसे देना और काम लेना दोनों जरूरी:
पहले भाजपा ने सरकारी कर्मचारियों को सातवां वेतनमान दिया था। उस वक्त लोगों ने सवाल उठाया था कि वेतन तो बढा दिया, जिम्मेदारी कौन तय करेगा? लोगों की इस मांग का असर सरकार पर हुआ और केंद्र सरकार ने ऐसे तमाम अधिकारियों-कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने का काम शुरू कर दिया जो अकर्मण्य और दागी अथवा 50 साल की आयु पार कर चुके हैं। ऐसे में पार्टी ये संदेश देने की कोशिश कर रही है कि भाजपा पैसे देती है तो उसे काम भी लेना आता है। Chhattisgarh से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें और Twitter पर Follow करें
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