बेंगलुरू। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चंद्रयान-2 के लिए काउंटडाउन शुरू हो गया है। रविवार सुबह छह बजकर 51 मिनट से शुरू होकर यह काउंटडाउन 20 घंटे चलेगा। इसरो (ISRO)का सबसे भारी रॉकेट जियोसिंक्रोनस सेटेलाइट लांच व्हीकल-मार्क 3 (GSLV-MK-3) यान को लेकर रवाना होगा। यह 15 जुलाई को तड़के 2 बजकर 51 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन सेंटर से लॉन्च होगा। काउंटडाउन के दौरान रॉकेट और यान के पूरे सिस्टम को जांचा जाएगा। साथ ही रॉकेट में ईंधन भी भरा जाएगा। सब कुछ ठीकठाक रहा तो आज रात ही भारत का बाहुबली रॉकेट चांद की ओर रवाना हो जाएगा।

GSLV- MK-3 की लांचिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन प्रक्षेपण केंद्र से होगी। अभियान की सफलता के साथ ही चांद पर यान उतारने वाला भारत चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, चीन और रूस अपने यान चांद पर उतार चुके हैं। भारत ने 2008 में चंद्रयान-1 भेजा था, जिसने 10 माह तक चांद की परिक्रमा करते हुए प्रयोगों को अंजाम दिया था। चांद पर पानी की खोज का श्रेय इसी अभियान को जाता है। इसरो प्रमुख डॉ. के सिवन ने बताया कि इस मिशन की सारी प्रक्रियाएं सुचारू रूप से जारी हैं।

बेहद जटिल होती है लैंडिंग :
तिरुमला में शनिवार को भगवान वेंकटेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने कहा कि चंद्रयान-2 प्रौद्योगिकी में अगली छलांग है क्योंकि हम चांद के दक्षिणी ध्रुव के समीप सॉफ्ट लैंडिंग कराने का प्रयास कर रहे हैं। सॉफ्ट लैंडिंग बेहद जटिल होती है। लैंडिंग के दौरान हम लगभग 15 मिनट के खतरे का सामना करेंगे। लॉन्चिंग के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद श्रीहरिकोटा में प्रक्षेपण होते हुए देखेंगे। स्वदेशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड हैं। इनमें पांच भारत के, तीन यूरोप, दो अमेरिका और एक बुल्गारिया के हैं। आठ पेलोड आॅर्बिटर में, तीन लैंडर विक्रम में जबकि दो रोवर प्रज्ञान में मौजूद रहेंगे।

कैसा अपना है बाहुबली :
640 टन वजनी जीएसएलवी मार्क-3(GSLV-MK-3) रॉकेट को तेलुगु मीडिया ने बाहुबली तो इसरो ने फैट बॉय (मोटा लड़का) नाम दिया है। 375 करोड़ की लागत से बना यह रॉकेट 3.8 टन वजनी चंद्रयान-2 को लेकर उड़ेगा। चंद्रयान-2 की लागत 603 करोड़ है। इसकी ऊंचाई 44 मीटर है जो कि 15 मंजिली इमारत के बराबर है। यह रॉकेट चार टन वजनी सेटेलाइट को आसमान में ले जाने में सक्षम है। इसमें तीन चरण वाले इंजन लगे हैं। अब तक इसरो इस श्रेणी के तीन रॉकेट लांच कर चुका है। 2022 में भारत के पहले मानव मिशन में भी इसी रॉकेट का इस्तेमाल किया जाएगा। चंद्रयान-2 के 6 या 7 सितंबर को चांद की सतह पर उतरने का अनुमान है। 16 मिनट की उड़ान के बाद रॉकेट इस यान को पृथ्वी की बाहरी कक्षा में पहुंचा देगा। फिर इसे चांद की कक्षा तक पहुंचाया जाएगा।
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