जबरन थोपा जा रहा है आम सहमति बनाने का फार्मूला

विशेष संवाददाता/रायपुर। छत्तीसगढ़ में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में जिन चेहरों की अगुवाई में 15 साल

से सत्ता में काबिज भाजपा सरकार को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा,उन चेहरों पर कार्यकर्ताओं का गुस्सा

अब साफ झलकने लगा है।

 

भाजपा संगठन की अंदरूनी हालत इस वक्त उस गुबारे की तरह हो गई जिसमें कार्यकर्ताओं की नाराजगी की एक

कील राज्य में भाजपा के सियासत की हवा निकाल सकती है।

 

कुछ ऐसे ही हालात एक दिन पहले यानि 14 नवंबर को प्रदेश भारतीय जनता पार्टी कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर

में देखने को मिला।

 

ये बैठक प्रदेश में होने वाले भाजपा संगठन के चुनाव में जिलाध्यों व मंडल अध्यक्ष के चुनाव में कार्यकर्ताओं से

रायशुमारी कर आम सहमति बनाने के नाम पर आयोजित की गई थी।

 

बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह,नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक,प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विक्रम उसेंडी प्रदेश

महामंत्री संगठन पवन साए, प्रदेश चुनाव अधिकारी राम प्रताप सिंह के साथ गौरीशंकर अग्रवाल भी उपस्थित थे।

 

जिसके बाद बैठक में बुलाए गए कार्यकर्ताओं का गुस्सा बेकाबू हो गया। बताया जा रहा है कि मंच पर संगठन

कार्य से जुड़े नेताओं के साथ विधायक चुनाव हार चुके गौरीशंकर अग्रवाल को देखकर कार्यकर्ता अपनी नाराजगी

रोक नहीं पाए । कार्यकर्ताओं का कहना था कि उन्हें किस हैसियत से मंच पर बैठाया गया है।

 

 

कुशाभाऊ परिसर में बैठक से बाहर निकलकर आए नेताओं का साफ कहना था कि जिन लोगों को दिसंबर 2018

को हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को हुई करारी हार का जवाबदार माना जा रहा है यही लोग रायशुमारी करने

बैठे हैं और प्रत्येक जिलों में पहले से तय नामों पर सहमति बनाने का दबाव बना रहे हैं। यही हाल रहा तो निकाय

चुनाव में भाजपा का बेड़ागर्क होना तय है।

 

15 साल के सत्ता संगठन के वही चेहरों से उकता चुके हैं लोग

इतना ही नहीं बैठक में आए कवर्धा और राजनांदगांव जिले के लोगों ने तो साफ कहा कि हम 15 साल चुप रहे

अब वहां मनमानी नहीं चलेगी,वहां कार्यकर्ताओं के अनुसार जिला अध्यक्ष बनना चाहिए।

 

जिला से लेकर मंडल तक अपनों को पदों पर बैठाने की राजनीति

 

 

कार्यकर्ताओं में इस बात का गुस्सा है कि जिलों की बैठकों में यह कहा जा रहा है कि आप लोग दो से तीन नाम

दीजिए उस पर प्रदेश के कोर कमेटी बैठकर जिला अध्यक्ष के चुनाव के समय चुनाव अधिकारी के माध्यम से एक

लिफाफा भेज दिया जाएगा।

 

जिसमें जिसे जिलाध्यक्ष मनोनीत करना है या निर्वाचित करना है उसके नाम पर सबको सहमति व्यक्त करना है। कार्यकर्ताओं

का कहना है कि कैडर बेस पार्टी को प्राइवेट कंपनी की तरह चलाने से ही विधानसभा चुनाव में शर्मनाक हार का सामना

बीजेपी को करना पड़ा है।

 

रायशुमारी तो दूर,मंच तक में नहीं मिल रही जगह

बता दें कि इसके पहले भी जब प्रदेश भाजपा के पदाधिकारियों की बैठक हुई उस समय भी वरिष्ठ लोग नीचे कुर्सी पर

बैठे थे और गौरीशंकर अग्रवाल मंच पर बैठे थे।

 

इस बात का विरोध दुर्ग जिला के एक पूर्व मंत्री और धमतरी जिला के पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक नई प्रदेश महामंत्री

संगठन को एक पर्ची भेज कर आपत्ति दर्ज कराई और नीचे कुर्सी पर बैठे प्रदेश चुनाव अधिकारी राम प्रताप सिंह को मंच

पर बैठाने के लिए कहा।

 

बताया जा रहा है कि पर्ची पहुंचते ही बात को संभालने के लिए प्रदेश महामंत्री संगठन पवन साए ने नीचे कुर्सी में बैठे

राम प्रताप सिंह को मंच पर आकर बैठने का अनुरोध किया,लेकिन ये बात पार्टी दफ्तर से बाहर आ गई।

 

प्रदेश संगठन मंत्री की चुप्पी पर भी सवाल

बता दे कि इस बैठक में प्रदेश भाजपा के 29 जिलों से आए पार्टी कार्यकर्ता और संगठन पदाधिकारी भी पहुंचे थे।

जिस वक्त कार्यकर्ता अपने गुस्से से उबल रहे थे वो भी वहां मौजूद थे।

 

दबे शब्दों में इन सभी का कहना था कि कार्यकर्ता अपनी बात पार्टी में रखना चाहते हैं तो उन्हें दरकिनार किया

जाता है। इस बात से पार्टी प्रदेश संगठन मंत्री पवन साय अच्छी तरह से वाकिफ हैं बावजूद इसके उनकी चुप्पी

समझ से परे है।

 

फिलहाल प्रदेश भाजपा के अंदरखाने में फूट रहा कार्यकर्ताओं का गुस्सा आने वाले निकाय चुनाव में भाजपा को

भारी पड़ना तय है।

 

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