रायपुर। भाजपा के लिए छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव के नतीजों पर पार्टी के कई नेता सार्वजनिक रूप

से बोलते हुए हिचक रहे हैं। वे अपनी हार को स्वीकार करने में झिझक रहे हैं। प्रदेश में लगातार 15 सालों तक

सत्तासीन रही भाजपा की इस हार पर बहसबाजी जारी ही है। इसी बीच भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद

उपासने ने सोशल मीडिया में दो बातें लिखी हैं,

 

पहली बात – ‘पाप किए थे हमने अपने कर्मों का ही फल पाया’ और दूसरी बात है-

‘किसी ने ठीक कहा… बोया बबूल तो आम कंहां से होय’, ‘जैसी करनी वैसी भरनी’।

जाहिर है, पार्टी की सूपड़ा साफ होने वाली स्टाइल में हार के तुरंत बाद प्रवक्ता का सोशल मीडिया

अकाउंट में यूं टिप्पणी करने की वजह से सियासी उबाल तो आना ही है।

फेसबुक के अपने टाइम लाइन पर उन्होंने इन पोस्ट्स के साथ कई तरह की चर्चाओं को हवा दे

दी है। चूंकि वे प्रवक्ता हैं, इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा विधानसभा और नगरीय

निकाय चुनाव में मिली हार के बाद अपनी हार की वजहों को स्वीकार कर रही है। उपासने के

पोस्ट  के नीचे लोगों के कमेंट्स भी बड़ी संख्या में आ रहे हैं। लेकिन, अपने पोस्ट के संदर्भ में

भाजपा प्रवक्ता उपासने का स्पष्टीकरण कुछ अलग है।

 

उनका कहना है कि यह बातें पार्टी के लिए नहीं लिखी गई हैं, बल्कि पार्टी के भीतर मौजूद उन लोगों

के लिए लिखी गई हैं, जिनके कारण हार की स्थिति निर्मित हुई है। वे यह भी साफ करते हैं, कि इस

पोस्ट के आधार पर पूरी पार्टी को सवालों के घेरे में लाना उचित नहीं है। इस पोस्ट के वायरल होने

और पोस्ट पर भाजपा प्रवक्ता उपासने की सफाई आने के बाद कुछ लोग उनकी मंशा से सहमत हो

सकते हैं, लेकिन उस पोस्ट के नीचे आ रहे तमाम कमेंट्स और लोगों के बीच व्याप्त चर्चा इस सवाल

पर जोर दे रहे हैं कि भाजपा के वरिष्ठ नेता सच्चिदानंद उपासने का दर्द कहीं इस रूप में तो सामने

नहीं आ रहा है ? भाजपा के वरिष्ठ नेता उपासने की मंशा जो भी हो, लेकिन भाजपा अगर अपनी हार

की समीक्षा में इन बातों पर भी विचार करती है, तो पार्टी के लिए बुरा तो कुछ भी नहीं।

 

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