VIDEO : प्रदेश के इस धान खरीदी केंद्र में लगा दी गई है धान की फसल, तस्वीरें तो यही बता रही हैं..!
VIDEO : प्रदेश के इस धान खरीदी केंद्र में लगा दी गई है धान की फसल, तस्वीरें तो यही बता रही हैं..!

बिलासपुर। इस जिले के कोटा ब्लॉक स्थित चपोरा के धान खरीदी केंद्र में इन दिनों ऐसा नजारा दिखाई देता है, मानो यहां धान की फसल लगा दी गई हो। जी हां, जिले के इस सबसे बड़े धान खरीदी केंद्र की तस्वीरें यहां लगाए गए अमले की लापरवाही को बयां कर रही हैं, जिसके चलते यहां बड़े पैमाने पर धान के बोरों से अंकुरण निकल आये हैं, और उधर जिले के जिम्मेदार अधिकारी सबकुछ ठीक-ठाक होना बता रहे हैं।

मंत्री सक्रिय पर अमला निष्क्रिय

छत्तीसगढ़ में धान की खरीदी को लेकर सरकार जितनी गंभीर है, क्या उतनी ही गंभीरता इस काम में लगा अमला भी दिखा रहा है? यह सवाल किसानों धान की चिंता करने वाले जरूर उठा रहे हैं। पिछले महीने ही प्रदेश के खाद्य मंत्री ने प्रदेश में हुई बारिश के बीच धान खरीदी केंद्रों के निरिक्षण के लिए निकले और इस दौरान एक केंद्र में धान के बोरोन को भीगता देख जमकर बिफरे। उनके रौद्र रूप को देखने के बाद इसी दिन रायपुर जिले में 6 धान खरीदी केंद्र प्रभारी निलंबित किये गए थे। इस कार्रवाई के बाद ऐसा लगा कि पूरा अमला ही दुरुस्त हो जायेगा, मगर ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा है। यहाँ की सोसाइटियों में लापरवाही अब भी नजर आ रही है।

कई क्विंटल धान सड़ने के कगार पर

चपोरा के इस धान खरीदी केंद्र में बारिश के दौरान धान को भीगने से रोकने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं किये जाने के चलते बड़ी मात्रा में धान के बोरों से अंकुरण हो गया है, यहां जिधर नजर डालें उधर ही ऐसा दृश्य नजर आता है। ऐसा लगता है मानो धान की फसल लगाने के लिए रोपणी (थरहा) तैयार की जा रही है। आदिवासी सेवा सहकारी समिति चपोरा में प्रंबधन की लापरवाही से किसानों के सैकड़ों क्विंटल धान अब सड़ने के कगार पर हैं। जानकर बता रहे हैं कि यहां लगभग 100 क्विंटल धान के सड़ने की नौबत आ गई है।

एक दूसरे पर थोपते हैं जिम्मेदारी

आदिवासी सेवा सहकारी समिति, चपोरा के अध्यक्ष शिव ने कहा कि जगह छोटा होने के चलते उन्हें परेशानियों का समना करना पड़ रहा है, वहीं खरीदी केंद्र में समय पर धान का उठाव नहीं होने के चलते बड़ा स्टॉक खड़ा हो गया है, जिससे इसके रख-रखाव में दिक्कत आ रही है।

चपोरा मंडी के प्रबंधक नरेंद्र जायसवाल का कहना है हम तो अपनी तरफ से तिरपाल को ढंके थे पता नहीं कैसे उसमें धान की जड़ी आ गई, आगे हम अधिकारी से इस संबंध में मार्गदर्शन लेंगे।

इधर सीईओ सहकारी बैंक सुशील कुमार ने इस संबंध में पूछे जाने पर कहा कि धान फड़ के बारे में मुझे जानकारी नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि शासन इतनी सुविधा प्रदान नहीं कर पाता कि आकस्मिक वर्षा होने के कारण धान भीग जाता है, वहीं शासन का निर्देश है कि 72 घंटे के अंदर धान का उठाव करना चाहिए, मगर जिला विपणन अधिकारी DMO के द्वारा समय पर धान उठाव नहीं कराया जाता, जिसके चलते यह नौबत आती है।

सचेत करने के बावजूद हुई लापरवाही

इस धान खरीदी केंद्र के नोडल अधिकारी RES विभाग के अभिषेक शर्मा बनाये गए हैं। उन्होंने TRP न्यूज़ को बताया कि चपोरा में जगह छोटी पड़ने के चलते दो स्थान पर धान का स्टॉक रखा जा रहा है। जब भी बारिश की आशंका हुई उन्होंने केंद्र के प्रबंधक और खाद्य अमले को सचेत किया, बावजूद इसके धान को भीगने से बचाया नहीं जा सका। हालाँकि उनका यह भी कहना था कि जो धान जमीन पर गिरे उनमे अंकुरण निकल आया है।

खाद्य अधिकारी की नजर में सब कुछ ठीक-ठाक है..!

बिलासपुर जिले के खाद्य अधिकारी राजेश शर्मा से जब TRP न्यूज़ ने चपोरा के धान खरीदी केंद्र की हालत के बारे में पूछा तब वे बार-बार यही कहते रहे कि पिछले साल धान के दाने जमीन पर पर गिर गए थे उन्ही में से अंकुरण निकल आया है। हमने उनसे कहा कि धान के स्टॉक के ऊपर काफी मात्रा में अंकुर निकल आये हैं, मगर वे मानने को तैयार नहीं हुए और कहते रहे कि वहां सबकुछ ठीक-ठाक है।

हर वर्ष करोड़ों रूपये होते हैं खर्च

इस तरह की लापरवाही केवल एक स्थान पर नहीं हुई है, ऐसे नज़ारे अनेक धान खरीदी केंद्रों में देखे जा सकते हैं। आपको बता दें कि सर्कार द्वारा हर वर्ष धान के रखरखाव के लिए खरीदी केन्द्रो को काफी रकम दी जाती है ताकि वे धान को ढंकने के लिए कैप कवर की खरीदी कर सकें मगर ऐसी क्या वजह है कि हर साल प्रदेश भर में धान के भारी मात्रा में भीगने की खबरें प्रकाश में आती हैं। प्रदेश के मंत्री और सम्बंधित विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को इस ओर ध्यान देते हुए व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन करने की जरुरत है।

देखिये वीडियो :

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