IPS रजनेश सिंह

बिलासपुर। हाईकोर्ट ने निलंबित IPS रजनेश सिंह के पक्ष में आए कैट के आदेश को खारिज करते हुए उनके निलंबन के आदेश को सही ठहराया है, और कहा है कि राज्य सरकार ने प्रावधानों का पालन करते हुए कार्रवाई की है।

ACB के SP थे रजनेश

9 फरवरी 2019 को रजनेश सिंह को राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया था। उनके विरुद्ध शिकायत थी कि सन् 2017 में एंटी करप्शन ब्यूरो के एसपी रहने के दौरान उन्होंने अनाधिकृत रूप से आम लोगों की फोन टेपिंग की थी। निलंबन जारी रखने के खिलाफ सिंह ने केंद्र सरकार में अपील की थी, जिसे वहां से खारिज कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) जबलपुर में अपील की। कैट ने पाया कि राज्य शासन ने निलंबन की कार्रवाई में अखिल भारतीय सेवा के अनुशासन और अपील, नियम 1969 के खंड 3 (1 बी) का उल्लंघन किया है। कैट ने रजनेश सिंह को दो माह के भीतर बहाल कर उन्हें सभी देयकों का लाभ देने का आदेश दिया था।

कैट के आदेश को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने कैट के आदेश पर शासन को स्थगन दे दिया। सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस अरुप कुमार गोस्वामी और जस्टिस पार्थ प्रतिम साहू की डिवीजन बेंच ने कैट के आदेश को खारिज कर दिया। कोर्ट को राज्य सरकार की ओर से बताया गया था कि शासन ने अखिल भारतीय सेवा के सर्विस रूल के अनुसार ही कार्रवाई की है। एक साल के भीतर यदि किसी अधिकारी की जांच पूरी नहीं होती है तो केंद्र सरकार की रिव्यू कमेटी से अनुशंसा लेकर जांच आगे बढ़ाई जा सकती है। कोर्ट ने माना कि राज्य सरकार ने नियमों का उल्लंघन नहीं किया है।

ज्ञात हो कि एंटी करप्शन ब्यूरो और ईओडब्ल्यू ने 2 फरवरी 2015 को प्रदेश में 28 जगहों पर एक साथ छापा मारा था। ये अधिकांश लोग नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारी कर्मचारी थे, जहां करोडों रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप है। इनसे कई दस्तावेज, हार्ड डिस्क और डायरी जब्त की गई थी। तीन साल पहले फरवरी महीने में तत्कालीन ईओडब्ल्यू चीफ मुकेश गुप्ता और एसीबी के एसपी रजनेश सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। पूछताछ के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था।

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