The Condition Of The Corporation - बोलने के बाद भी नहीं हुआ वाल ऑफ़ करप्शन का टेंडर निरस्त
The Condition Of The Corporation - बोलने के बाद भी नहीं हुआ वाल ऑफ़ करप्शन का टेंडर निरस्त

विशेष संवादाता, रायपुर

निगम के सबसे गंभीर घोटाले में गिना जाने लगा है तेलीबांधा डिवाइडर का विवादित ठेका कार्य। बिना टेंडर 80 फीसदी कार्य होने के 2 दिन बाद तक ठेकेदार कौन इसकी खबर न तो महापौर एजाज़ ढेबर को थी और न ही निगम आयुक्त मयंक चतुर्वेदी को। निगम के भाजपा पार्षद दाल की नेता मीनल चौबे भी बेखबर थीं। रायपुर सांसद सुनील सोनी के खुलासा करने के बाद मामला तूल पकड़ा तब निगम में हंगामा मचा था। टीआरपी को दिया बयान में निगम आयुक्त मयंक चतुर्वेदी ने ठेका कार्य, ठेकेदार और किसी भी टेंडर प्रक्रिया से अनभिज्ञता जताते हुए अज्ञात ठेकेदार को धन्यवाद दिया था। उन्होंने एक रुपया भी भुगतान नहीं करने की बात भी कही थी।

बाद में निगम आयुक्त और महापौर ने इस काम का टेंडर निरस्त करने और जांच समिति बनाने का एलान किया। साथ ही निगम द्वारा तेलीबांधा से वीआईपी रोड डिवाइडर सौन्दर्यीयकरण कार्य का ठेका निरस्त करने की बात कही गई थी। लेकिन, चौंकाने वाली बात यह है कि इस ऐतिहासिक विवादित कार्य को लगता है कि सिर्फ जुबानी खेती ही की गई। आज भी नगर निगम की वेब साइड में ज़ोन -10 से तेलीबांधा से वीआईपी रोड डिवाइडर कार्य का टेंडर डिसप्ले हो रहा है। तारीख टेंडर की 16 नवम्बर बताई गई है।

बता दें आयुक्त ने इसके लिए 3 सदस्यीय जांच कमेटी भी बना दी है जिसमें मुख्य अभियंता आरके चौबे, संयुक्त संचालक वित्त एसपी साहू अधीक्षण अभियंता हमंत शर्मा को जांच का जिम्मा सौंपा गया है। निगम आयुक्त मयंक चतुर्वेदी ने कहा था कि जोन क्रमांक 10 के अंतर्गत तेलीबांधा चौक से वीआईपी रोड टर्निंग तक डिवाइडर सौंदर्यीकरण हेतु अनटाइड फंड से विभिन्न प्रकार के कार्य हेतु स्वीकृत राशि 2,00,42,422 रुपए के संबंध में कई माध्यमों से शिकायत प्राप्त हुई है। प्राप्त शिकायत पर उक्त निविदा को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाता है। शिकायत मिलने के बाद अंततः नगर निगम रायपुर के आयुक्त को तेलीबांधा से वीआईपी रोड के बीच स्मार्ट सिटी की राशि से जो कार्य चल रहा है उसके लिए जांच समिति का गठन करना पड़ा था।