गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में तमाम प्रयासों के बावजूद पड़ोसी राज्य का धान बड़ी मात्रा में पहुंच रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा की जा रही छापेमारी में धान का स्टॉक किसानों के घरों पर मिल रहा है, जबकि संबंधित किसानों के धान अभी खेतों में पक कर तैयार हो रहे हैं। इस तरह के अवैध कृत्य में नाके पर तैनात कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आ रही है।

लाभ कमाने के फेर में बिचौलिए सक्रिय

छत्तीसगढ़ में सरकार द्वारा दूसरे राज्यों की बनिस्बत ज्यादा समर्थन मूल्य पर किसानों का धान खरीदा जा रहा है। यही वजह है कि उड़ीसा और मध्य प्रदेश सहित कुछ अन्य राज्यों से धान अवैध तरीके से छत्तीसगढ़ लाकर किसानों के नाम पर खरीदी केंद्रों में बेच दिया जाता है। तमाम उपायों के बावजूद इस अवैध कृत्य को रोकने में सफलता नहीं मिल रही है।

गरियाबंद कलेक्टर प्रभात मलिक के निर्देश पर देवभोग प्रसाशन ने उड़ीसा की सीमाओं पर 15 चेक पोस्ट लगाकर वहां से आने वाले धान को रोकने में कुछ सफलता तो मिल रही है, मगर कुछ नाकों पर कर्मियों की बिचौलियों की मिलीभगत के चलते धान किसानों के यहां डंप हो रहा है।

छापेमारी में मिला लाखों का धान

धान के अवैध परिवहन पर प्रशासन की भी नजर है। यही वजह है कि जिन गांवों में धान का स्टॉक होने की जानकारी मिलती है, वहां अधिकारी तत्काल दबिश देते हैं। एसडीएम अर्पिता पाठक भी लगातार फील्ड पर नजर आ रही हैं। बीते दिनों उन्होंने देर रात तक गांवों में दबिश दी। इस दौरान सुपेबेडा के डोंगरीपारा, कोसुमकानी व माहूलकोट के धौरा झोलापारा में 7 घरों में छापा मार कर 567 बोरा धान जप्त किया गया। इस तरह अब तक 1275 बोरा धान जप्त किया गया है, जिसकी कीमत 13 लाख रूपये बताई जा रही है। अवैध परिवहन करते 4 वाहन भी जप्त किये गए हैं।

जांच के बाद करते हैं जब्ती

एसडीएम अर्पिता पाठक ने बताया कि अवैध भंडारण की सूचना मिलते ही संबंधित पटवारियों से परीक्षण कराया जाता है। दरअसल जिन किसानों से धान जब्त किया जाता है, वे उसे अपना होने का दावा करते हैं, ऐसे किसानों के खेत का भौतिक सत्यापन किया जाता है, अब तक उन्हीं के धान जप्त किये गए हैं जिनके खेतों में फसल कटाई नहीं होना पाया गया।

नाके पर तैनात कर्मियों की होती है मिलीभगत

गरियाबंद के देवभोग ब्लॉक में जो भी सड़कें उड़ीसा से लगी हुई हैं, ऐसे 15 स्थानों पर नाके लगाए गए हैं, ताकि उड़ीसा से आने वाले अवैध धान को रोका जा सके। बावजूद इसके अगर जिले के भीतर पड़ोसी राज्य का ध्यान पहुंच रहा है तो इसमें नाका कर्मियों की लापरवाही या फिर मिलीभगत तय है। अनेक प्रयासों के बावजूद इनकी प्रवृत्ति को रोका नहीं जा सका है।

कर्मियों के संपर्क में हैं बिचौलिए

धान के परिवहन को रोकने के लिए बनाये गए नाकों के कर्मचारियों पर आशंका निराधार नहीं है। दरअसल नाकों के निरिक्षण के लिए जब भी अधिकारी वहां पहुँचते हैं, अवैध धान लेकर आ रहे वाहनों का काफिला रास्ते में रोक दिया जाता है। दरअसल नाके में मौजूद कर्मी चोरी-छिपे बिचौलियों को सूचना भेज देते हैं, जिसके चलते वे जहां-के-तहां वाहनों को खड़ा करवा देते हैं।

8 कर्मियों को थमाया नोटिस

प्रशासन ने धुपकोट, सूकलीभांठा पुराना, बरकानी व कैठपदर नाके में ड्यूटी टाइम पर लापरवाही बरतने वाले 8 कर्मियों को शो कॉज नोटिस थमाया है। एसडीएम अर्पिता पाठक ने कहा कि जवाब संतोषप्रद नहीं मिलने पर अनुशासानात्मक व दंडात्मक कार्यवाही हेतु कलक्टर को अनुशंसा कर पत्र भेजा जाएगा।

चुनौती बन गया है अवैध धान को रोकना

बता दें कि देवभोग का इलाका उड़ीसा के तीन जिलों से घिरा हुआ है। यहां छोटे बड़े 30 रास्ते भी है, जो प्रदेश को जोड़ते हैं।ऐसे में यहां पर उड़ीसा से भर कर आने वाले धान के अवैध परिवहन को रोकना किसी चुनोती से कम नहीं है। विषम परिस्थितियों के बावजूद इलाके की महिला अफसर की बहादुरी के काफी चर्चे होने लगे हैं। एसडीएम अर्पिता पाठक ने अपने अमले के साथ अवैध धान को रोकने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। सूचना मिलने पर वे रात के वक्त भी छापेमारी से पीछे नहीं हटतीं।