NASA Artemis Moon Mission: नासा के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ मून मिशन ‘आर्टेमिस-1’ को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। बात दे की नासा का ये तीसरा प्रयास था जो सफल रहा। यह प्रक्षेपण आज फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से हुआ। आर्टेमिस-1 मिशन नासा के मंगल मिशन के बाद सबसे महत्वपूर्ण मिशन है। नासा इस मिशन के जरिए चांद पर ओरियन अंतरिक्ष यान भेज रहा है। अंतरिक्ष यान 42 दिनों में चांद की यात्रा कर वापस लौटेगा। 50 साल पहले यूएस अपोलो मिशन के बाद पहली बार अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर उतारने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है।

जानकरी के अनुसार बीते दो बार से लगातार लॉन्चिंग फेल हो रही थी। इसके लिए नासा ने ईंधन लाइनों पर दबाव कम करने और सील को मजबूत बनाए रखने के लिए ईंधन भरने में लगने वाले समय को करीब एक घंटे बढ़ा दिया था। इसके बाद ऐसा प्रतीत हुआ कि यह कदम कारगर साबित हो रहा है, लेकिन छह घंटे की प्रक्रिया के खत्म होते-होते, रुक-रुककर हाइड्रोजन का रिसाव शुरू हो गया। लेकिन कुछ देर पहले इसको सफलता पूर्वक लॉन्च कर दिया गया है। 1972 के बाद अब चांद पर इंसान को भेजने की तैयारी हो रही है।

आर्टेमिस-1 मिशन के दौरान ओरियन और एसएलएस रॉकेट चंद्रमा पर पहुंचेंगे और 42 दिनों में पृथ्वी पर लौट आएंगे। अगर यह मिशन सफल होता है तो 2025 तक अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर भेज दिया जाएगा। आर्टेमिस-1 मिशन के बाद ही नासा के वैज्ञानिक चांद पर पहुंचने के लिए अन्य जरूरी तकनीक विकसित करेंगे, ताकि कोई भी चांद के पार जाकर मंगल की यात्रा कर सके।

यदि तीन-सप्ताह की परीक्षण उड़ान सफल हुई तो रॉकेट चालक दल के एक खाली कैप्सूल को चंद्रमा के चारों ओर एक चौड़ी कक्षा में ले जाएगा और फिर कैप्सूल दिसंबर में प्रशांत क्षेत्र में पृथ्वी पर वापस आ जाएगा। कई साल की देरी और अरबों से ज्यादा की लागत लगने के बाद, अंतरिक्ष प्रक्षेपण प्रणाली रॉकेट ने कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरी। ओरियन कैप्सूल को रॉकेट के शीर्ष पर रखा गया था, जो उड़ान के दो घंटे से भी कम समय में पृथ्वी की कक्षा से निकलकर चंद्रमा की ओर जाने के लिए तैयार था।

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