बालकों संयंत्र का कारनामा, अपने ही कैंसर अस्पताल पर किया CSR मद का 90 फीसदी खर्च

रायपुर। छत्तीसगढ़ में बालको संयंत्र का नया कारनामा सामने आया है। कंपनी ने सीएसआर मद की राशि का 90 फीसदी खर्च (72 करोड़ रुपए) केवल और केवल अपने ही नया रायपुर स्थित कैंसर अस्पताल पर कर दिया है। यह आरोप अकलतरा के विधायक सौरभ सिंह ने लगाया है।

इस संबंध में विधायक सौरभ सिंह ने अपने ट्विटर हैंडल पर बालको की सीएसआर रिपोर्ट भी शेयर की है। बालको कैंसर अस्पताल के अलावा इसके अलावा इस मद की राशि का उपयोग शिक्षा, चाइल्ड केयर, रुरल डेल्थ, पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए 2.87 करोड़ रुपए अलॉट किए गए हैं। जिसमें से 1.43 करोड़ रुपए खर्च भी हुए हैं मगर यह राशि किन जिलों में खर्च की गई है। मगर इसका ब्यौर बालको संयत्र ने नहीं दिया है। जबकि यह खर्च या तो खुद कंपनी ने किये हैं या एजेंसी को इसका ठेका दिया गया है।

वैसे तो छत्तीसगढ़ में डीएमएफ फंड और सीएसआर मद की राशि किस प्रक्रिया में और कैसे खर्च करना है इसके लिए सरकार ने स्पष्ट नियम बनाए हैं। मगर पिछले 20 वर्षों से सफलतापूर्वक इस मद की राशि को खर्चने में अनियमितता के मामले सामने आते रहे हैं। मगर इन मामलों में सख्त सर्रवाई आज पर्यंत नहीं हो सकी है। इसका स्पष्ट प्रमाण है कि आज भी डीएमएफ फंड और सीएसआर मद का दुरूपयोग नहीं रूक सका है।

देखें साल 2020-21 में किन मदों में कितनी राशि हुई खर्च

इस बारे में अकलतरा विधायक सौरभ सिंह ने एक ट्वीट भी किया है जिसमें लिखा है कि

छत्तीसगढ़ में बालको संयंत्र द्वारा सीएसआर में खर्च की गई राशि का एक बेवरा वेबसाइट से निकालकर आपके सामने पेश है कुल राशि का 90% खर्च सिर्फ बालकों के नया रायपुर स्थित कैंसर अस्पताल पर किया जा रहा है और और आगे देखें तो जहां पर जिले का उल्लेख नहीं है वह दुर्ग का पाटन क्षेत्र है…

टीआरपी के सवाल

  • कोरबा जिले के आस-पास के गांव को छोड़ 250 किमी दूर नया रायपुर स्थित कैंसर असपताल में ही सीएसआर की राशि क्यों खर्च की गई।
  • अगर 90 फीसदी खर्च हुई भी है तो कोरबा से कितने लोगों को इस अस्पताल से लाभ मिलता है।
  • अस्पताल का संचालन अगर किसी मद के तहत होता है तो किन कंपनियों के फंड कैंसर अस्पताल में आते है।

क्या है सीएसआर के नियम

कंपनी कोई भी काम सीएसआर के तहत नहीं करवा सकती है, इसके लिए कुछ नियम होते हैं। सीएसआर कानून में कंपनी को कौन सा सामाजिक काम करवाना है वो भी निर्धारित किये गए है। इन सीएसआर गतिविधियों के आलावा दूसरे सीएसआर एक्टिविटीज को नहीं करवाया जा सकता है। कानून में सीएसआर गतिविधियों की सूची दी गई है, जो सीएसआर के दायरे में आती हैं। यह सूची नियम की 7वीं अनुसूची में शामिल हैं। कंपनियों को इन्हीं में से अपने सीएसआर के लिए गतिविधियों का चयन करना है।

1. राष्ट्रीय धरोहर, कला और संस्कृति की सुरक्षा, जिसमें ऐतिहासिक महत्व वाली इमारतें और स्थल एवं कला शामिल हैं।
2. पारंपरिक कला एवं हस्तशिल्प को बढ़ावा देना और उनका विकास।
3. सार्वजनिक पुस्तकालयों की स्थापना।
4. अनाथालय और छात्रावास की स्थापना, उनके लिए भवन का निर्माण, उनका रख रखाव व संचालन।
5. वृद्धाश्रम की स्थापना, उनके लिए भवन का निर्माण, उनका रख -रखाव व संचालन।
6. डे केयर केंद्रों की स्थापना, उनके लिए भवन का निर्माण, उनका रख-रखाव व संचालन।
7. महिलाओं के लिए घर और छात्रावासों की स्थापना।
8. ग्रामीण खेलों, राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त खेलों, ओलंपिक खेलों और पैरालंपिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण मुहैया कराना।
9. केंद्र सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त शैक्षणकि संस्थानों में स्थित प्रौद्योगिकी इनक्यूबेटरों के लिए फंड मुहैया कराना।
10. शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए काम करना।
11. मिट्टी, हवा और जल की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए काम करना।
12. प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण।
13. पारिस्थितिक संतुलन को सुनिश्चित करना।
14. वनस्पतियों, जीव संरक्षण, पशु कल्याण, कृषि वानिकी का संरक्षण।
15. ग्रामीण विकास परियोजनाएं।
16. जीविका वृद्धि संबंधी परियोजनाएं।
17. स्वास्थ्य एवं स्वच्छता को बढ़ावा देना।
18. असामानता का दंश झेल रहे सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समूहों के लिए काम करना।
19. युद्ध में मारे गए शहीदों की विधवाओं, सशस्त्र बलों के वीरों और उनके आश्रितों के लाभ से जुड़े काम।

कौन सी गतिविधियां सीएसआर (CSR) खर्च नहीं मानी जाएंगी?

कंपनी अधिनियम की धारा 135 के अनुसार वो सीएसआर गतिविधियां जो केवल कंपनी के कर्मचारियों और उनके परिवारों को लाभान्वित करती हैं, उन्हें सीएसआर गतिविधियों के रूप में नहीं माना जाएगा। मैराथन / पुरस्कार / धर्मार्थ योगदान / विज्ञापन / टीवी कार्यक्रमों के प्रायोजन जैसे कार्यक्रम सीएसआर ख़र्च में मान्य नहीं होंगे।

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