Britain: ब्रिटेन आर्थिक तंगी के मुश्किल दौर से गुजर रहा है। उसकी अर्थव्यवस्था दिन बा दिन सिकुड़ती जा रही है। इस बीच प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने आर्थिक मंदी को दूर करने के लिए कई कदम उठाने की घोषणा की है। ब्रिटिश सरकार ने 55000 करोड़ पाउंड का फिस्कल प्लान पेश करने किया है। (Rishi Sunak News)

ब्रिटेन के वित्त मंत्री जेरेमी हंट ने गुरुवार को कर वृद्धि से लाखों लोगों को प्रभावित करने वाले अपने बहुप्रतीक्षित आपातकालीन बजट का खुलासा किया। इस दौरान ब्रिटिश वित्त मंत्री ने कहा कि देश वर्तमान में मंदी के दौर से गुजर रहा है और फिलहाल अर्थव्यवस्था में और सिकुड़न आ सकती है।

बजट की प्रमुख घोषणाएं

-एनर्जी कंपनियों पर विंडफॉल टैक्स को बढ़ाया गया है। इसे 25% से 35% कर दिया गया है ।

-इलेक्ट्रिक जेनरेटर पर 45 फीसदी का अस्थाई टैक्स लगाया गया है।

-सवा लाख पाउंड सालाना कमाने वाले लोग भी अब टॉप टैक्स के दायरे में आएंगे।

-इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर 2025 से एक्साइज ड्यूटी नहीं लगेगी।

ब्रिटेन में महंगाई ने तोड़ा रिकॉर्ड
बता दें ब्रिटेन में महंगाई ने 41 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर 2022 के दौरान ब्रिटेन में खुदरा महंगाई बढ़कर 11.1 फीसदी हो चुकी है, जो 1981 से अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है। जेरेमी हंट ने कहा कि पूरी दुनिया एनर्जी और महंगाई की संकट से जूझ रही है। उन्होंने आगे कहा कि स्थिरता विकास और पब्लिक सर्विस के लिए इस प्लान के साथ हम मंदी का सामना करेंगे। ब्रिटेन में बढ़ती महंगाई ने सरकार के साथ-साथ आम लोगों की भी मुश्किलें बढ़ा दी है। ब्रिटेन में महंगाई दर 41 साल के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए अक्टूबर महीने में एक 1.1 फ़ीसदी पर पहुंच गई है। साल 1981 के बाद से यह सबसे अधिक महंगाई दर है। सितंबर के महीने में महंगाई दर 10.1 फ़ीसदी रही थी।

ब्रिटेन आर्थिक मंदी की चपेट में आ चुका है। इसके बाद से पूरी दुनिया पर मंदी की आशंका के बादल घिरने की आशंका है। कुछ महीनों से मंदी को लेकर लगाए जा रहे हैं कयास अब सच हो सकते हैं। आर्थिक मंदी जब भी आती है जन जीवन पर गहरा असर छोड़ जाती है। कई बार तो मंदी से उबरने में वर्षों लग जाते हैं। मंदी के आने से किसी भी देश की सिर्फ जीडीपी की साइज नहीं घटती बल्कि लोगों के खर्च में भी भारी इजाफा होता है। कंपनियों की आमदनी घटती है। इसलिए वह पैसों की बचत के लिए कर्मचारियों को नौकरी से निकालने लगते हैं इस तरह की मुश्किल बढ़ जाती है और मंदी अपना गहरा असर छोड़ जाती।