HC JABALPUR

जबलपुर। मध्य प्रदेश (मप्र) उच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश में राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह अपनी मर्जी से शादी करने वाले वयस्कों के खिलाफ मप्र धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 10 के तहत कार्रवाई नहीं करे।

न्यायमूर्ति सुजॉय पॉल और न्यायमूर्ति पीसी गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि धारा 10, धर्मांतरण करना चाह रहे एक नागरिक के लिए यह अनिवार्य करता है कि वह इस सिलसिले में एक (पूर्व) सूचना जिलाधिकारी को दे, लेकिन ‘‘हमारे विचार से यह इस अदालत के पूर्व के फैसलों के आलोक में असंवैधानिक है।’’

उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है कि इसलिए प्रतिवादी (राज्य सरकार) अपनी मर्जी से शादी करने वाले वयस्कों के खिलाफ मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 10 के उल्लंघन को लेकर उसके (अदालत के) अगले आदेश तक दंडात्मक कार्रवाई नहीं करे।

खंडपीठ ने मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2021 के प्रावधानों को चुनौती देने वाली सात याचिकाओं के एक समूह पर यह अंतरिम आदेश जारी किया। याचिकाकर्ताओं ने राज्य को अधिनियम के तहत किसी व्यक्ति को अभियोजित करने से रोकने के लिए अंतरिम राहत प्रदान करने का अनुरोध किया था।

उच्च न्यायालय ने राज्य को याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया। खंडपीठ ने इसके बाद, मामले को अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

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