बर्खास्त

0 कोरबा जिले से जारी हुई थी अंकसूची..! 0 बिलासपुर में कर रहा नौकरी

0 शमी इमाम
बिलासपुर। फर्जी मार्कशीट बनाकर नौकरी पाने वाले आयुर्वेद विभाग के एक कर्मचारी को बर्खास्त कर दिया गया है। यह मामला बिलासपुर जिले के आयुर्वेद कार्यालय का है। जहां आयुर्वेद अधिकारी ने औषधालय सेवक को नौकरी से निकालने का आदेश जारी किया है।

रोल नंबर ही निकला गलत

बिलासपुर में जिला आयुर्वेद कार्यालय में सन 2013 में औषधालय सेवक की भर्ती हुई थी। इस भर्ती प्रक्रिया में न्यूनतम योग्यता आठवीं उत्तीर्ण रखी गई थी। इसमें मेरिट के आधार पर प्रदीप कुमार माथुर का चयन हुआ था। नियुक्ति के बाद जब सर्टिफिकेट का वैरिफिकेशन किया गया तो मार्कशीट फर्जी निकली। इस मार्कशीट में प्रदीप को 500 में कुल 485 अंक यानि 97% नंबर मिलने का उल्लेख था।

दरअसल प्रदीप कुमार माथुर ने कोरबा जिले से समतुल्यता प्रमाण पत्र परीक्षा- 2008 में 8 वीं की परीक्षा पास होने का प्रमाण पत्र जमा किया था। जब उसकी अंकसूची कोरबा के जिला परियोजना अधिकारी, जिला साक्षरता मिशन को भेजी गई तब जांच के बाद प्रेषित पत्र में समस्त तथ्यों का उल्लेख करते हुए प्रदीप कुमार माथुर की अंकसूची को फर्जी बताया गया। जांच प्रतिवेदन से पता चलता है कि प्रदीप कुमार माथुर इस परीक्षा में बैठा ही नहीं था, क्योंकि उसकी अंकसूची में दर्ज रोल नंबर ही गलत था। इस तरह सम्पूर्ण जांच के बाद कर्मचारी को बर्खास्त करने का आदेश दिया गया।

जांच में गिरोह का हो सकता है खुलासा

दरअसल छत्तीसगढ़ में राजीव गांधी शिक्षा मिशन के तहत पूरे प्रदेश में पढाई से छूटे लोगों को उनकी उम्र के हिसाब से 8 वीं तक की परीक्षा दिलाई जाती थी। चूंकि यह परीक्षा प्रौढ़ों के लिए होती थी, इसलिए परीक्षा की प्रक्रिया पर ध्यान नहीं दिया गया और लोगों ने नक़ल मार कर अच्छे अंक हासिल कर लिए। चूंकि इनके प्रमाण पत्रों को सरकार ने मान्यता दे दी है, इसलिए चतुर्थ श्रेणी की भर्ती में इन्हें भी पात्रता दी जाती है। औषधालय सेवक की नौकरी हासिल कर चुके प्रदीप कुमार माथुर ने भी समतुल्यता प्रमाण पत्र परीक्षा का ही प्रमाण पत्र पेश किया था। हालांकि उसने इस परीक्षा में शामिल हुए बिना ही प्रमाण पत्र बनवा लिया और नौकरी हासिल कर ली। ऐसे यह उठता है कि प्रदीप कुमार माथुर को यह फर्जी प्रमाण पत्र किसने दिया ?

दो-दो प्रदीप के खिलाफ हुई थी जांच

बिलासपुर के जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ यशपाल सिंह ध्रुव ने TRP NEWS को बताया कि सन 2013 में डॉ प्रदीप शुक्ला, जिला आयुर्वेद अधिकारी के कार्यकाल में यह भर्ती हुई थी। भर्ती प्रक्रिया के बाद औषधालय सेवक के पद पर कार्य कर रहे प्रदीप कुमार माथुर और प्रदीप कुमार पांडेय के खिलाफ शिकायत विभाग को मिली थी। मगर जांच आगे नहीं बढ़ी और शिकायत ठन्डे बस्ते में डाल दी गई। डॉ यशपाल सिंह ध्रुव ने हाल में जब चार्ज संभाला तब उन्होंने शिकायत की जांच के लिए दोनों की अंकसूची कोरबा जिले में भेजी।

दोनों प्रदीप के केंद्र और अंक थे एक ही सामान..!

डॉ यशपाल सिंह ध्रुव ने बताया कि प्रदीप कुमार माथुर और प्रदीप कुमार पांडेय की अंकसूची में कोरबा जिले के पाली ब्लॉक के परीक्षा केंद्र का उल्लेख था। और दोनों के प्राप्तांक भी एक ही याने 500 में 485 अर्थात 97% थे। हायर मार्क्स के चलते दोनों की नौकरी लग गई और दोनों लगभग 8 – 9 साल तक नौकरी करते रहे।

जांच शुरू होते ही एक ने छोड़ी नौकरी

जिला आयुर्वेद अधिकारी ने बताया कि उन्होंने मामले की जांच शुरू कराई ही थी कि प्रदीप कुमार माथुर और प्रदीप कुमार पांडेय में से मुंगेली में कार्य कर रहे प्रदीप कुमार पांडेय ने पारिवारिक कारणों का उल्लेख करते हुए नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और इस प्रक्रिया के दौरान जमा किये जाने वाले शुल्क की भी उसने पूर्ति कर दी।

पुलिस में कराएंगे FIR

इस फर्जीवाड़े की शिकायत के संबंध में पूछे जाने पर डॉ यशपाल सिंह ध्रुव ने बताया कि उन्होंने इस कार्यवाही की एक प्रति IG बिलासपुर को भेज दी है। और वे कल ही इस मामले में सरकंडा थाने में FIR दर्ज कराएंगे। उन्होंने माना कि मामले की जांच में फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वाले गिरोह का खुलासा हो सकता है।

आरोपी से हो सकती है रिकवरी

डॉ यशपाल सिंह ध्रुव ने बताया कि प्रदीप कुमार माथुर ने फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर सन 2013 से आयुर्वेद विभाग में नौकरी की। इस दौरान उसने वेतन भी उठाया। प्रदीप से पूरे वेतन की रिकवरी के लिए विभाग मुख्यालय से मार्गदर्शन लिया जायेगा। अगर अनुमति मिली तो इसके लिए प्रदीप माथुर को नोटिस जारी किया जायेगा।

NIOS के जरिये होती थी परीक्षा

राजीव गांधी शिक्षा मिशन से जुड़े एक पूर्व अधिकारी ने TRP न्यूज़ को बताया कि छत्तीसगढ़ समतुल्यता प्रमाण पत्र परीक्षा राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी संगठन (NIOS) के अधीन हुआ करती थी। तब NIOS के माध्यम से ही परीक्षार्थियों को अंक सूची मिला करती थी।

बहरहाल अब तो जांच के बाद ही खुलासा हो सकेगा कि दोनों प्रदीप ने किसके माध्यम से 8 वीं पास की अंकसूची हासिल की थी। उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्द ही इस फर्जीवाड़े के नेटवर्क का खुलासा हो सकेगा और संभव है कि फर्जी प्रमाण पात्र के जरिये नौकरी कर रहे और लोग भी पकड़े जा सकेंगे।

देखें प्रदीप की बर्खास्तगी का आदेश :

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