रायपुर। झारखंड में चुनावी माहौल के बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की वरिष्ठ नेता कल्पना सोरेन ने भाजपा पर तीखा हमला बोलते हुए छत्तीसगढ़ के हसदेव जंगल का मुद्दा जोर-शोर से उठाया है। अपनी रैलियों में उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने हसदेव के घने जंगलों को उजाड़कर अपने व्यापारी मित्रों को सौंप दिया है। इस कदम से न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा है, बल्कि आदिवासियों के जीवन और उनके अधिकारों पर भी बड़ा हमला हुआ है।

कल्पना सोरेन ने कहा, छत्तीसगढ़ के हसदेव के जंगल आदिवासी समाज के जीवन का आधार हैं। इन्हें नष्ट करके भाजपा ने आदिवासियों को उनके ही घर से बेदखल करने की साजिश की है। जो भी इसके खिलाफ आवाज उठाता है, उसे जेल में डाल दिया जाता है।

झारखंड के जल, जंगल और जमीन पर भी खतरा

रैलियों में कल्पना सोरेन ने झारखंड के संदर्भ में भी भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भाजपा अब झारखंड के आदिवासियों की जमीन छीनने की साजिश कर रही है। उन्होंने जनता से अपील करते हुए कहा, हमें भाजपा की इस साजिश का एकजुट होकर जवाब देना होगा। वे न केवल हमारे पर्यावरण को नष्ट कर रहे हैं, बल्कि हमारी संस्कृति और पहचान पर भी हमला कर रहे हैं।

हसदेव का मुद्दा क्यों बना चुनावी केंद्र?

हसदेव जंगल, छत्तीसगढ़ का एक समृद्ध और घना जंगल क्षेत्र है, जो न केवल पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि वहां रहने वाले आदिवासियों के लिए जीवनरेखा भी है। पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में खनन परियोजनाओं के लिए जंगलों को उजाड़ने और आदिवासियों को विस्थापित करने की घटनाएं हुई हैं। यह मुद्दा अब न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि झारखंड और अन्य राज्यों में भी गूंज रहा है।

कल्पना सोरेन ने इस मामले को झारखंड की जनता के साथ जोड़ा और कहा कि भाजपा की नीतियां झारखंड के आदिवासियों और उनके अधिकारों को भी खतरे में डाल रही हैं। उन्होंने दावा किया कि भाजपा की सरकार विकास के नाम पर आदिवासियों की जमीन और संसाधनों को कॉर्पोरेट कंपनियों को बेचने में लगी है।

अपनी रैलियों में कल्पना सोरेन ने जनता से आह्वान किया कि वे भाजपा की इन नीतियों के खिलाफ आवाज उठाएं। उन्होंने कहा, यह लड़ाई केवल जमीन और जंगल की नहीं है, यह हमारी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की लड़ाई है। अगर हम आज नहीं जागे, तो कल बहुत देर हो जाएगी।