रायपुर। छत्तीसगढ़ के रायपुर के रहने वाले हिन्दी के शीर्ष कवि-उपन्यासकार विनोद कुमार शुक्ल को इस साल का ज्ञानपीठ सम्मान दिया जाएगा। आज शनिवार को दिल्ली में इसकी घोषणा की गई।

राजनांदगांव में जन्में विनोद कुमार शुक्ल रायपुर के कृषि विश्वविद्यालय के आवासीय कॉलोनी में रहते हैं। वे पिछले 50 सालों से लिख रहे हैं। उनके उपन्यास नौकर की कमीज, खिलेगा तो देखेंगे, दीवार में एक खिडक़ी रहती थी, हिन्दी के श्रेष्ठ उपन्यासों में शुमार होते हैं।
कहानी संग्रह पेड़ पर कमरा, और महाविद्यालय भी बहुचर्चित रहे हैं। उनका कविता संग्रह ‘लगभग जयहिन्द’ 1971 में प्रकाशित हुआ था। दुनिया भर की भाषाओं में उनकी किताबों के अनुवाद हो चुके हैं।
शुक्ल को कविता और उपन्यास लेखन के लिए गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप, रजा पुरस्कार, वीरसिंह देव पुरस्कार, सृजन भारतीय सम्मान, रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार, दयावती मोदी कवि शिखर सम्मान, भवानी प्रसाद मिश्र पुरस्कार, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, और पं.सुंदरलाल शर्मा जैसे कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं।
हाल ही में उन्हें पेन अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय ख्याति के लिए नाबोकाओ अवार्ड्स से सम्मानित किया। एशिया में इस सम्मान को पाने वाले वे पहले साहित्यकार हैं। विनोद कुमार शुक्ल के उपन्यास नौकर की कमीज पर एक फिल्म भी बनी है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने छत्तीसगढ़ के प्रतिष्ठित साहित्यकार, उपन्यासकार एवं कवि विनोद कुमार शुक्ल को ज्ञानपीठ पुरस्कार सम्मान की घोषणा पर हर्ष व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई दी है। उन्होंने इसे छत्तीसगढ़ के लिए अत्यंत गौरव का क्षण बताया और कहा कि शुक्ल जी ने छत्तीसगढ़ को भारत के साहित्यिक मानचित्र पर गौरवान्वित होने का अवसर प्रदान किया है।
उन्होंने कहा कि विनोद कुमार शुक्ल का साहित्य विचारों और संवेदनाओं का अद्वितीय संगम है, जो जनमानस को छूता है। उनकी रचनाओं में गहराई, मौलिकता और मानवीय सरोकारों की झलक मिलती है। उनका रचना संसार छत्तीसगढ़ की माटी की खुशबू को भारत के कोने-कोने में पहुँचाता है।
सीएम ने कहा कि ज्ञानपीठ जैसे प्रतिष्ठित सम्मान से सम्मानित होना न केवल उनके सृजन की पहचान है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक एवं साहित्यिक वैभव की भी मान्यता है। मुख्यमंत्री ने उनके दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य की कामना की है।