भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में जिला अदालत ने करीब 8 साल पुराने रैगिंग और आत्महत्या के लिए उकसाने वाली 4 लड़कियों को पांच साल की सजा सुनाई है। इन 4 सीनियर छात्राओं परआरोप था कि इन्होंने अपनी जूनियर को रैगिंग के जरिए आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया था।

सुसाइड नोट में 4 सीनियर का जिक्र

इन छात्राओं पर जूनियर छात्रा के सुसाइड नोट के आधार पर कार्रवाई की गई। मामला साल 2013 का है। भोपाल के एक निजी कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं ने अपनी जूनियर की रैगिंग की थी। जूनियर छात्रा इससे दिमागी तौर पर परेशान होकर छात्रा ने आत्महत्या कर ली। छात्रा के पास से एक सुसाइड नोट मिला था जिसमें अपनी 4 सीनियर लड़कियों का जिक्र किया गया था।

सुसाइड नोट में छात्रा ने लिखा था, ‘जब से वह कॉलेज में आई है, तब से ही यह 4 सीनियर लड़कियां उसकी रैगिंग कर रही हैं। सिर्फ मैं ही जानती हूं कि कैसे मैंने इन 4 सीनियर की रैगिंग को अब तक झेला है। इनकी शिकायत करने पर मुझे कहा गया था कि कॉलेज में तो सीनियर्स की बात माननी ही पड़ती है।

माता-पिता और भाई के लिए लिखी थी ये बातें

छात्रा ने सुसाइड नोट में अपने माता-पिता और भाई के लिए भी बातें कही थीं और लिखा था उसके जाने के बाद वह उसे ज्यादा याद ना करें। छात्रा के सुसाइड नोट के आधार पर पुलिस ने 4 लड़कियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

कोर्ट ने सजा सुनाते हुए कहि ये बातें

इसी मामले में कोर्ट ने सजा सुनाते हुए कहा कि ‘बढ़ती हुई रैगिंग की घटनाओं को देखते हुए सजा इतनी होनी चाहिए कि दूसरे लोगों को ऐसा करने से पहले उसका नतीजा सोचकर डर लगे। आगे से भविष्य के सपने लेकर कॉलेज में एडमिशन लेने वाले किसी स्टूडेंट को सुसाइड करने के लिए मजबूर न होना पड़े।

साथ ही कोर्ट के फैसले के बाद चारों दोषी लड़कियों निधि, दीप्ति, कीर्ति और देवांशी को जेल भेज दिया है। सबूतों की कमी के चलते कॉलेज के टीचर मनीष को बरी कर दिया दिया।

सरकारी वकील मोहम्मद खालिद कुरैशी ने बताया…

इस मामले की जानकारी देते हुए सरकारी वकील मोहम्मद खालिद कुरैशी ने बताया कि भोपाल में पहली बार रैगिंग के मामले में दोषी पाए जाने पर 4 लड़कियों को सजा सुनाई गई है l RKDF कॉलेज में बी-फार्मा सेकेंड ईयर की छात्रा अनिता शर्मा ने 6 अगस्त 2013 की रात अपने घर में फांसी लगा ली थी। वह अपने साथ हो रही रैगिंग से परेशान थी। अनिता ने कॉलेज के शिक्षक मनीष को रैगिंग वाली बात बताई थी, लेकिन कार्रवाई करने की जगह उसने छात्रा को चुप रहने की सलाह दी थी।’

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