नई दिल्ली। असम के जोरहाट हवाई अड्डे से उड़ान भरने वाले AN-32 के टुकड़े मिले हैं। समाचार एजेंसी ANI के अनुसार विमान के कुछ हिस्सों का टुकड़ा अरुणाचल प्रदेश के लीपो शहर में मिला है। यह जगह विमान के उड़ान वाली जगह से 15-20 किलोमीटर उत्तर में है। जमीन से 12 हजार फुट की ऊंचाई पर मलबा मिला है। विमान के बाकी हिस्सों की तलाश के लिए सर्च ऑपरेशन जारी है।  यह विमान 3 जून असम के जोरहाट से उड़ान भरा था और लापता हो गया था। इस विमान में 8 क्रू मेंबर समेत 13 लोग सवार थे।

वायुसेना की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि जिस इलाके में खोज की जा रही थी, वहां IAF Mi-17 हेलीकॉप्टर द्वारा अनुमानित AN-32 का मलबे को आज 16 किलोमीटर उत्तर में लगभग 12000 फीट की ऊंचाई पर देखा गया।

भारतीय नौसेना ने किया ट्वीट

भारतीय नौसेना ने विमान AN-32 को लेकर ट्वीट किया है। नौसेना के ट्विटर हैंडल से लिखा गया, ‘लापता एएन-32 विमान का मलबा लिपो से 16 किलोमीटर दूर दिखा है। एमआई-17 हेलिकॉप्टर को सर्च ऑपरेशन के दौरान करीब 12 हजार फीट ऊंचाई पर टाटो के उत्तर-पूर्व में यह मलबा दिखाई दिया है। वायुसेना के रिटायर्ड एयर मार्शल पीएस अहलूवालिया के अनुसार पहाड़ियों और जंगल से भरा इलाका होने के कारण विमान का पता लगाना मुश्किल हो जाता है। इस वजह से इसे ढूंढने में 9 दिनों का वक्त लग गया।

पांच लाख के इनाम की थी घोषणा

इससे पहले वायुसेना ने इस विमान की जानकारी देने वाले को 5 लाख रुपए इनाम देने की घोषणा की थी। यह घोषणा एयर मार्शल आरडी माथुर एओसी इन कमांड, इस्टर्न एयर कमांड ने की थी। उन्होंने कहा था कि लापता AN-32 की पुख्ता जानकारी देने वाले व्यक्ति या समूह को यह इनाम दिया जाएगा।

इन इलाकों में चला सर्च ऑपरेशन

इस विमान की तलाश के लिए एसयू-30 जेट लड़ाकू विमान, सी130 जे, एमआई17 और एएलएच हेलीकॉप्टरों को लगाया। विमान की खोज करीब 2500 वर्ग किमी के क्षेत्र में की गई। यह क्षेत्र सियांग जिले के कायींग और पायुम क्षेत्र के अंदर आता है। रूस निर्मित इस विमान ने अरुणाचल प्रदेश के शि-योमि जिले के मेचुका एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड के लिए सोमवार दोपहर 12.27 बजे असम के जोरहाट से उड़ान भरा थी। जमीनी नियंत्रण कक्ष के साथ विमान का संपर्क दोपहर एक बजे टूट गया था।

खराब मौसम बना बाधा

विमान को ढूंढने के लिए खराब मौसम के दौरान भी सर्च ऑपरेशन जारी रहा। तेज बारिश और हवाओं के कारण पहाड़ी इलाके में विमान को ढूंढना असंभव हो गया था लेकिन इसके बावजूद थल सेना और वायुसेना के जवान लगातार विमान को ढूंढने का प्रयास करते रहे।