भूपेश बघेल

आदिवासियों के खेतों तक पानी पहुंचाना जरूरी, विरोधियों के पास कोई विकल्प हो तो बताएं

रायपुर। बस्तर में बोधघाट परियोजना को लेकर हो रहे विरोध के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस परियोजना का समर्थन करते हुए कहा है कि बोधघाट परियोजना के आने से आदिवासियों के खेतों तक पानी पहुंचाया जा सकेगा और इससे उनके जीवन में खुशहाली आएगी। बोधघाट के विरोधियों को आड़े हाथ लेते हुए भूपेश बघेल ने कहा है कि अगर उनके पास कोई विकल्प हो तो बताएं।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अरपा महोत्सव में शामिल होने के लिए गौरेला पेंड्रा रवाना होने से पहले मीडिया से चर्चा की, इस दौरान उनसे पूछा गया कि बोधघाट परियोजना का आदिवासी नेता अरविंद नेताम, सोहन पोटाई और मनीष कुंजाम विरोध कर रहे हैं। इस पर भूपेश बघेल ने विस्तार से इसका जवाब दिया। उन्होंने बताया कि बोधघाट परियोजना सबसे पहले हाइड्रा प्रोजेक्ट थी जिसके चलते एक बड़ा इलाका प्रभावित होता। उसके विरोध की वजह से यह परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई। मगर अब यह योजना सिंचाई के लिए हो जाए तो इसका कोई विरोध नहीं होना चाहिए। भूपेश बघेल ने कहा कि वर्तमान में इस योजना से काफी कम संख्या में आदिवासी प्रभावित होंगे जिनके श्रेष्ठ पुनर्वास का प्रयास किया जायेगा। वन अधिकार अधिनियम के तहत नियमों का पालन करते हुए आदिवासियों के साथ बातचीत कर योजना की रूपरेखा तैयार की जाएगी।

केवल 7 प्रतिशत वन क्षेत्र है सिंचित

भूपेश बघेल ने बताया कि प्रदेश के मैदानी इलाके बांध से सिंचित है मगर आदिवासी बाहुल्य इलाकों में आज भी सिंचाई का अभाव है प्रदेश के जंगलों में केवल 7% भूभाग ही सिंचित हैं। ऐसे में अगर आदिवासियों के खेतों में पानी पहुंचाया जाए तो वे आने वाले समय में काफी खुशहाल होंगे ।

प्रदेश में लगातार गिर रहा है जल स्तर

भूपेश बघेल ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि आज पानी या तो ट्यूबवेल से मिलेगा या फिर सर्फेस वाटर से। आज मध्य प्रदेश के ग्वालियर मालवा रेंज में जल स्तर पर 6 सौ से 8 सौ फिट नीचे चला गया है, छत्तीसगढ़ में पहले 50 फिट नीचे पानी मिल जाया करता था लेकिन अब 200 फिट नीचे पानी मिल रहा है, वही रायपुर के अनेक इलाकों में तो 4 से 6 सौ फिट की खुदाई पर पानी बड़ी मुश्किल से मिलता है। ऐसे में अगर हम ग्राउंड वाटर के भरोसे रहें तो कैसे चलेग. विरोध करने वाले नेताओं पर सीधा हमला करते हुए भूपेश बघेल ने कहा कि ये आदिवासियों का भला करने वाले नहीं हैं. यदि आदिवासियों का भला करना चाहते तो अंतिम छोर के आदिवासी के लिए पानी की व्यवस्था करते. विरोध करने वालों ने अपने खेतों में तो पानी की व्यवस्था पहले से कर ली है।

आदिवासी नेता बताएं, कैसे सुधरी उनकी आर्थिक स्थिति..?

भूपेश बघेल ने कहा कि उन्होंने जब कहा था कि बड़े नेताओं के जितनी ही आदिवासियों की संपत्ति होनी चाहिए, तो कुछ लोगों को तकलीफ हो गई थी. उनके पास क्यों संपत्ति नहीं होनी चाहिए, उनके पास ज़मीन है लेकिन आज भी वे गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं. क्योंकि उनके खेत में पानी नहीं है. बोधघाट परियोजना का जो आदिवासी नेता विरोध कर रहे हैं, वे यह बताएं कि उनकी आर्थिक स्थिति कैसे सुदृढ़ हुई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भावुक होने पर भूपेश बघेल ने कहा ”आंसू तो आंसू होते हैं”

राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भावुक होने पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आंसू तो आंसू होते हैं, लेकिन उसके अपने मायने होते हैं।

मुख्यमंत्री बोले- किसान नेता राकेश टिकैत के आंसू निकले, तो उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियााणा के किसान उठ खड़े हुए। बघेल ने कहा कि प्रधानमंत्री के आंसू निकले, तो इसका क्या असर हुआ, सब देख रहे हैं।

इसके बाद मुख्यमंत्री ने कांग्रेस के सोशल मीडिया अभियान पर कहा, हमारी टीम भाजपा के हिंसात्मक रुख का जवाब शांति से देगी। उनके झूठ को सच से मारेगी। जो लोग देश को बचाना चाहते हैं, देश हित में सोचते हैं, उनके लिए यह बहुत अच्छा अभियान है। वह कांग्रेस से जुड़े बिना भी अभियान का हिस्सा बन सकते हैं।

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