लाल अंधेरों के बीच शिक्षा दूत जगा रहे हैं ज्ञान का आलोक

मृण्मय बरोई/जगदलपुर। घोर नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले के गोरना में माओवादी की समस्या के चलते 15 साल पहले गांव में एकमात्र स्कूल का संचालन बंद कर दिया गया था।

इस गांव में बच्चों की एक बड़ी आबादी भेड़ बकरियां चराने को विवश थी।

नई पीढ़ी शिक्षा जैसी बुनियादी हक से महरूम हो गई थी, अब करीब 15 वर्षों बाद स्थानीय विधायक एवं एवं जिला प्रशासन की पहल पर गांव में शिक्षा दूत योजना के माध्यम से शिक्षा की अलख जलाई जा रही है।

गांव में एक झोपड़ी नुमा स्थल पर प्राथमिक विद्यालय का संचालन शुरू कर दिया गया है, अध्यापन कार्य के लिए गांव के ही शिक्षित युवा सुरेश क़ुरसम, सोनूराम हपका, को जिम्मेदारी सौंपी गई है।

बता दें कि इस पहल से ना केवल युवा शिक्षकों में उत्साह है, बल्कि गांव के अशिक्षित आदिवासी भी इस पहल का तारीफ कर रहे हैं। ग्रामीण आदिवासियों की वर्षों पुरानी मांग अब जाकर पूरी हुई है।

हालांकि उनकी मंशा झोपड़ी की बजाय सर्व सुविधा युक्त स्कूल भवन बनाए जाने की भी है। ग्रामीणों की मंशा पर फिलहाल प्रशासन विचार कर रही है।

मजेदार बात यह है कि वर्तमान में भी नक्सलियों के प्रभाव क्षेत्र के इस गांव में शिक्षा को लेकर की गई इस पहल का माओवादी भी किसी प्रकार का विरोध नहीं कर रहे हैं।

2004 में शुरू हुआ था सलवा जुडूम आंदोलन

करीबन 2004 में बीजापुर जिले में नक्सलियों के प्रतिकार स्वरूप जन आंदोलन का आगाज हुआ था जिसे गोंडी बोली में सलवा जुडूम कहा गया इसका शाब्दिक आशय शांति यात्रा है।

सलवा जुडूम के आरंभ होने के पश्चात अंचल में व्यापक पैमाने पर हिंसक घटनाएं हुई और सैकड़ों आदिवासियों की जानें गई परिणाम स्वरूप जिले के अंदरूनी इलाकों में शिक्षा, सेहत, बिजली, पेयजल, सड़क, संचार आदि बुनियादी सुविधाएं सरकार आज भी उपलब्ध नहीं करा सकी है।

बरसों बाद गांव के आदिवासी नौनिहालों के लिए पाठशाला का पट खोले जाने पर गरीब और अशिक्षित ग्रामीणों में आशा की एक उम्मीद जागी है।

शिक्षा दूत योजना के तहत खोल गए हैं 12 स्कूल

बीजापुर जिले में शिक्षा दूत योजना के तहत दूरस्थ गांव में अब तक 12 स्कूल खोले जा चुकी है स्कूलों में अध्यापन के लिए स्थानीय शिक्षित युवकों को अध्ययन की जिम्मेदारी दी गई है।

खंड शिक्षा अधिकारी जाकिर खान ने बताया कि स्थानीय प्रशासन व जनप्रतिनिधियों ने अंचल की नई पीढ़ी को शिक्षित करने के लिए दूरस्थ अंचलों में शिक्षा दूत के माध्यम से पाठशाला खोले जाने की योजना बनाई गई है और उनके मार्गदर्शन में संचालन किया जा रहा है।

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