नई दिल्ली। पाकिस्तान (Pakistan) एक ओर जम्मू-कश्मीर(Jammu-kashmir) को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने से बौखलाया है। तो वहीं उसके इस्लामाबाद (Islamabad)में बैठा मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड हाफिज सईद (Hafiz Saeed) और 38 से ज्यादा आतंकवादी संगठन अभी भी भारत के खिलाफ साजिशें रच रहे हैं। क्या यह दुनिया के साथ धोखा नहीं है? आज टीआरपी की टीम आपको बताएगी उन आतंकवादी संगठनों के नाम जिनसे खौफ खाते हैं दुनिया के तमाम दिग्गज देश। आज करेंगे पाकिस्तान (Pakistan) में चल रही आतंक की 38 फैक्ट्रियों का पर्दाफाश (38 factories exposed for terror in Pakistan)।

अमेरिका को खुश करने हाफिज पर कसी दिखावे की लगाम:
हाफिज सईद(Hafiz Saeed)  पर पाकिस्तान (Pakistan)  ने जो दिखावे की कार्रवाई भी की, वो पेरिस की वित्तीय निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की चेतावनी के बाद हुई।FATF  ने कहा था कि पाकिस्तान (Pakistan) आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता है तो उसे ब्लैक लिस्ट में डाला जा सकता है। ऐसा किए जाने का मतलब यह है कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में सहयोग नहीं कर रहा है। अगर पाकिस्तान(Pakistan) ब्लैक लिस्ट में शामिल हो जाता तो उसे आईएमएफ, विश्व बैंक, एडीबी, ईयू जैसी वैश्विक संस्थाओं से वित्तीय मदद मिलनी मुश्किल हो जाएगी।

ये रही पाकिस्तान में पल रहे आतंकी संगठनों की पूरी सूची-
पाकिस्तान में मौजूद ये आतंकवादी संगठन (Terrorist organization) भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने में लगे हुए हैं। इनके नाम हैं —

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TATP),लश्कर-ए-उमर (LAU), सिपाह-ए-सहाबा पाकिस्तान (SSP), तहरीक-ए-जैफेरिया पाकिस्तान (TAJP), तहरीक-ए-नफज-ए-शरीयत-ए-मोहम्मदी (TANASAM), लश्कर-ए-झांगवी (LAJ), सिपाह-ए-मुहम्मद पाकिस्तान (SAMP), जमात-उल-फुकरा, नदीम कमांडो,
सशस्त्र प्रतिरोध के लिए लोकप्रिय मोर्चा, मुस्लिम संयुक्त सेना और
हरकत-उल-मुजाहिदीन अल-अलमी (HUKA)शामिल हैं।

जड़ें पाकिस्तान में काम विदेशों में –

हिज्ब-उल-मुजाहिदीन (HUM), हरकत-उल-अंसार (हू, वर्तमान में हरकत-उल मुजाहिदीन के रूप में जाना जाता है), लश्कर-ए-तैयबा (LAT), जैश-ए-मोहम्मद मुजाहिदीन ई-तंजीम (JAMM), हरकत-उल मुजाहिदीन (HUM) जिसे पहले हरकत-उल-अंसार के नाम से जाना जाता था), अल बदर, जमात-उल-मुजाहिदीन (JUM), लश्कर-ए-जब्बार (LAJ),
हरकत-उल-जेहाद-अल-इस्लामी (हूजी), मुत्तहिदा जेहाद काउंसिल (MJC), अल बर्क, तहरीक उल मुजाहिदीन, अल जेहाद, मुस्लिम जनाब फोर्स, कश्मीर जेहाद बल, अल जेहाद फोर्स (मुस्लिम जनाब फोर्स और कश्मीर जेहाद फोर्स को जोड़ती है) शामिल हैं।

 

अल उमर मुजाहिदीन, महज-ए-आजादी, इस्लामी जमात-ए-तुलबा, जम्मू और कश्मीर छात्र मुक्ति मोर्चा, इखवान उल मुजाहिदीन, इस्लामिक स्टूडेंट्स लीग, तहरीक-ए-हुर्रियत-ए-कश्मीर, तहरीक-ए-निफाज-ए-फिकार जाफरिया, अल मुस्तफा लिबरेशन फाइटर्स, तहरीक-ए-जेहाद-ए-इस्लामी, मुस्लिम मुजाहिदीन, अल मुजाहिद बल, तहरीक-ए-जेहाद और इस्लामी इन्कीलाबी महज, अल-रशीद ट्रस्ट, अल-अख्तर ट्रस्ट, रबीता ट्रस्ट, उम्माह तामीर-ए-नौ और लश्कर-ए-झांगवी जैसे कई दूसरे संगठन भी शामिल हैं।

पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों की संपत्तियां:
अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद पाकिस्तान ने जमात-उद-दावा, लश्कर-ए-तैयबा और फलाह-ए-इंसानियत के खिलाफ जांच शुरू की थी। पंजाब पुलिस ने मार्च में बताया था कि सरकार ने जमात के 160 मदरसे, 32 स्कूल, दो कॉलेज, चार हॉस्पिटल, 178 एंबुलेंस और 153 डिस्पेंसरी को सीज किया था। पाक अधिकारियों ने बताया था कि जमात-उद-दावा के अंतर्गत 3000 मदरसे, स्कूल, अस्पताल, एक पब्लिशिंग हाउस और एंबुलेंस सर्विस शामिल हैं।

2018 में दूसरी बार ग्रे लिस्ट में पहुंचा पाकिस्तान:
एफएटीएफ ने जून 2018 में दूसरी बार पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। इससे पहले उसे 2012 में इस लिस्ट में डाला गया था। पाकिस्तान पर आरोप था कि उसने आतंकियों को वित्तीय मदद देने और मनी लॉड्रिंग करने के लिए अपनी जमीन का इस्तेमाल किया।

पाकिस्तानी पूर्व राजदूत ने ही बताया ढकोसला:
पाकिस्तान के पूर्व राजदूत वाजिद शमसुल हसन ने हाफिज की गिरफ्तारी को ढकोसला करार दिया था। उन्होंने पिछले महीने कहा था कि इमरान की वॉशिंगटन यात्रा से ठीक पहले की गई यह कार्रवाई सिर्फ अमेरिका को खुश करने के लिए हुई थी। इससे पहले भी 8 बार हाफिज को गिरफ्तार किया गया, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। आज भी पाकिस्तान के हुक्मरानों में ये दम नहीं है कि वहां मौजूद 20 से ज्यादा आतंकवादी संगठनों पर वो कार्रवाई कर सकें।

अमेरिका ने सईद के सिर रखा 10 मिलियन डॉलर का ईनाम:
हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दावा को लश्कर-ए-तैयबा का मुख्य चेहरा माना जाता है। 2008 के मुंबई हमले का मास्टरमाइंड भी सईद ही है। अमेरिका ने सईद को वैश्विक आतंकी घोषित किया है। उस पर 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ईनाम भी रखा गया है।

आतंकवाद पर दोहरी मानसिकता:
अमेरिका सहित तमाम देशों की आतंकवाद को लेकर दोहरी मानसिकता समय-समय पर सामने आती रही है। आज पूरी दुनिया जानती है कि ओसामा बिन लादेन कहां छिपा था। अमेरिकी सील कमांडोज ने कैसे उसका खात्मा किया? वहीं हाफिज सईद जैसे तमाम आतंकवादी पाकिस्तान में ही छिपे हुए हैं। उन पर कार्रवाई क्यों नहीं होती? सिर्फ जमातत-उद-दावा पर कार्रवाई कर देने भर से क्या होगा? पाकिस्तान में ऐसे 38 से ज्यादा संगठन उगाही की कार्रवाई में लगे हैं। इससे आने वाले पैसों का इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने में होता है।

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