नक्सलियों के एक और संगठन ने पत्रकारों को भेजा पत्र, समझौते के प्रयास लगातार जारी
नक्सलियों के एक और संगठन ने पत्रकारों को भेजा पत्र, समझौते के प्रयास लगातार जारी

टीआरपी डेस्क। सुकमा और बीजापुर के दो पत्रकारों को नक्सलियों की धमकी के बाद आक्रोशित पत्रकारों को मनाने का नक्सली लगातार प्रयास कर रहे हैं। इसी कड़ी में पत्रकारों के नाम एक पर्चा और सामने आया है, जो नक्सलियों के दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प का है।

वार्ता के लिए मांगा और वक्त

विकल्प ने अपने पर्चे में लिखा है, हमें देर से मीडिया खबरों, व्हाट्सएप वीडियोज के जरिए पता चला कि हमारे दक्षिण सब जोनल ब्यूरो द्वारा जारी पर्ची व प्रेस वक्तव्य पर पत्रकार साथियों को एतराज है और वे नाराज होकर आंदोलन कर रहे हैं जिसके अंतर्गत 20, 21, 22 फरवरी को रैली के रूप में हमसे मिलकर वार्ता करने का प्रोग्राम प्रस्तावित है।

विकल्प ने कहा है हम पत्रकार मित्रों से यह अपील करते हैं कि हमारे ब्यूरो द्वारा जारी पर्चे व प्रेस बयान में जिन पत्रकारों पर जो आरोप लगाए गए हैं, उनसे संबंधित वस्तुगत वास्तविकता का दोनों पक्षों से सही जानकारी लेकर वार्ता के जरिए समस्या का हल निकालने का अवश्य प्रयास करेंगे जिसमें हमारे आपसी व हमारे और आप लोगों के बीच समन्वय स्थापित करने में मौजूद तकनीकी अड़चनों के चलते थोड़ा वक्त लग सकता है। विकल्प ने आगे लिखा है कि पत्रकार साथियों द्वारा तय उपरोक्त तारीखों में यह शायद संभव नहीं हो सकता है। इसलिए पत्रकार मित्र इसे लेकर चिंतित व आंदोलित न होवें।

पत्रकारों को नुकसान नहीं पहुंचाने के लिए किया आश्वस्त

पत्र में उल्लेख है कि हमारी ओर से जारी पर्चे व प्रेस बयान में जिन पत्रकारों पर आरोप लगाए गए हैं, उन्हें कोई शारीरिक चोट नहीं पहुंचाई जाएगी। इस संदर्भ में हम एक बार और ऐलान करते हैं कि जनता की आवाज बनकर जन समस्याओं, जन आंदोलनो, जन संघर्षों, सरकारों की जन विरोधी व जन दमनकारी नीतियों की रिपोर्टिंग करने के लिए पत्रकार बंधु दंडकारण्य के संघर्ष इलाकों में कभी भी पूरी स्वेच्छा के साथ व बेरोकटोक घूम सकते हैं। पत्रकारिता की आजादी की हम वकालत करते हैं।

गौरतलब है कि बस्तर के पत्रकारों ने नक्सली धमकी के विरोध में 20, 21 और 22 फरवरी को बाइक रैली निकालकर नक्सलियों से बातचीत करने की घोषणा की थी, मगर नक्सलियों ने बाद में वार्ता करने का संदेशा भिजवाया है। देखना है कि नक्सलियों के इस तीसरे पत्र के बाद पत्रकार क्या रुख अपनाते हैं।

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