बस्तर के आदिवासियों के साथ पहुंचे अरविन्द नेताम ने कहा - पंचायतों को गलत तरीके से बनाया गया नगर पंचायत
बस्तर के आदिवासियों के साथ पहुंचे अरविन्द नेताम ने कहा - पंचायतों को गलत तरीके से बनाया गया नगर पंचायत

रायपुर। बस्तर से रायपुर तक की पदयात्रा करके राजभवन पहुंचे ग्रामीणों के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात की।  इसमें शामिल पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविन्द नेताम ने कहा कि देश में आदिवासियों के हित में बनाये गए कानून की पूरी तरह अनदेखी की जा रही है। इसी का परिणाम है कि “पेशा” जैसे कानून का उल्लंघन करते हुए प्रदेश में पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायतों को नगर पंचायत बना दिया गया है।
 

छत्तीसगढ़ के अनेक जिले 5 वीं अनुसूची के अंतर्गत आते हैं और संविधान में वहां के लिए कुछ अलग कानून बनाये गए हैं, जिसका पालन करने की मांग अब प्रदेश के आदिवासी उठाने लगे हैं। इसी कड़ी में बस्तर नगर पंचायत के सैकड़ों ग्रामीण 300 किलोमीटर पैदल चलकर राजधानी पहुंचे हैं। इनकी सरकार से मांग है कि कानून की अनदेखी कर बस्तर ग्राम पंचायत को नगर पंचायत बनाने के फैसले को निरस्त किया जाये।

इनका नेतृत्व कर रहे सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष सोहन पोटाई, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविन्द नेताम और अन्य समाज प्रमुखों ने इस मुद्दे को लेकर राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात की।  मीडिया से चर्चा करते हुए अरविन्द नेताम ने कहा “विडम्बना इस बात की है कि देश में आदिवासियों के हित में जो कानून बना है उसका कही भी पालन नहीं हो रहा है। पेशा कानून में नगर पंचायत के लिए कोई जगह नहीं है, मगर राज्य सरकारों ने कई जगह मनमानी करके ग्राम पंचायतों को नगर पंचायत बना दिया है, जो कि गलत है।

अरविन्द नेताम ने बताया कि नगर पंचायतो में आदिवासियों के सारे अधिकार ख़त्म कर दिए गए हैं। उन्हें आरक्षण का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। बस्तर से 300 किलोमीटर की पदयात्रा करके आये ये आदिवासी बेवकूफ नहीं हैं, जब इन्हे कहीं से न्याय नहीं मिला तब क्या करते, इन्हे रायपुर आना पड़ा।
 

गौरतलब है कि बस्तर पंचायत ही नहीं बल्कि इस संभाग के 27 पंचायतों को नगर पंचायत बना दिया गया है। फ़िलहाल बस्तर से इसकी शुरुआत की गई है। आदिवासी नेता इस मामले में सरकार द्वारा की जाने वाली कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रहे हैं।  संभव है कि आने वाले समय में बस्तर ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में पेशा कानून का उल्लंघन करके नगरीय निकाय बना दिए गए पंचायतों का मुद्दा इनके द्वारा उठाया जायेगा।

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