नई दिल्ली। अयोध्या बाबरी मस्जिद, रामजन्मभूमि विवाद (Ayodhya Dispute) मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का आज आखिरी दिन है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (Chief Justice Ranjan Gogoi) ने संकेत देते हुए कहा कि 70 साल पुराने विवाद पर बहस बुधवार को समाप्त हो जाएगी. सुप्रीम कोर्ट में मामले पर हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से अपनी-अपनी आखिरी दलील दी जाएगी, दलील पूरी होने के बाद कुछ दिनों में अयोध्या मामले में फैसला आने की उम्मीद है

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने हिंदू पक्ष के वकील सीएस वैद्यनाथन (CS vaidhyanathan) से कहा कि एक घंटा उन्हें मिलेगा और एक घंटा मुस्लिम पक्ष को दिया जाएगा. भोजनावाकाश के बाद की सुनवाई में 45-45 मिनट शेष पांच पक्षों को दिए जाएंगे।

गौरतलब है कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं, ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि रंजन गोगोई अपने रिटायरमेंट के पहले अयोध्या मामले में फैसला सुना सकते हैं. आज बहस पूरी होने के बाद 17 नवंबर तक न्यायधीशों को जजमेंट लिखने के लिए एक महीने का वक्त मिलेगा। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा इस मामले की सुनवाई कर रही संविधान पीठ में जस्टिस एस.ए. बोबड़े (Justice S A Bobde), जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandchood), जस्टिस अशोक भूषण (Justice Ashok Bhushan), जस्टिस एसए नज़ीर (Justice SA Nazeer) भी शामिल हैं।

 क्या है? अयोध्या बाबरी मस्जिद-रामजन्म भूमि विवाद

उत्तर प्रदेश के अयोध्या ज़िले में एक जमीन के टुकड़े में बाबरी मस्जिद का निर्माण बाबर के सेनापति मीर बाकी ने कराई थी। हिंदु मान्यता के अनुसार जिस जगह बाबरी मस्जिद थी वो जगह भगवान राम का जन्मस्थान है. मामले में ये तय किया जाना है कि क्या पहले वहां कोई हिंदू मंदिर था जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। 6 दिसम्बर 1992 के बाबरी मस्जिद को ढहा दिया गया था. इसके बाद ज़मीन पर स्वामित्व विवाद से संबंधित एक मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर किया गया। इस मामले में हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने 30 सितम्बर 2010 को 2.77 एकड़ की ज़मीन पर अपना फ़ैसला सुनाया। फ़ैसले के अनुसार ज़मीन एक तिहाई हिस्सा राम लला को जाएगा जिसका प्रतिनिधित्व हिंदू महासभा कर रही है, दूसरा एक तिहाई हिस्सा सुन्नी वक्फ़ बोर्ड को और बाकी एक तिहाई निर्मोही अखाड़ा को दिया जाएगा।

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