स्कूल ड्रेस
स्कूल ड्रेस के मामले में शिक्षा विभाग का बाबू हुआ निलंबित

कोरबा। विकास खंड शिक्षा अधिकारी, कोरबा के कार्यालय में पदस्थ बाबू धीरज आर्या को निलंबित कर दिया गया है। पिछले दिनों बाबू के निर्माणाधीन मकान में स्कूल ड्रेस और अन्य सामग्रियां रखा होने का मामला उजागर होने के बाद यही ड्रेस नाले में बहते हुए मिले थे। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा यह कार्रवाई की गई।

कोरबा शहर से लगी हुई दादर बस्ती में धीरज आर्या का निर्माणाधीन मकान है, जहां बड़ी मात्रा में नए स्कूल ड्रेस, टाटपट्टी, किताबें और बर्तन मिले थे। यह बात मिडिया में उजागर होने के बाद अगले दिन स्कूल ड्रेस ग्राम नकटीखार के पास नाले में बहते हुए मिले। इस खबर को लेकर शिक्षा विभाग में अफरातफरी मच गई। आनन-फानन में BEO संजय अग्रवाल के नेतृत्व में जाँच टीम गठित की गई। पूरी टीम ने स्थल पर पहुंचकर नाले में फेंके गए स्कूल ड्रेस को इकठ्ठा कर स्टोर में रखवाया। जाँच के दौरान स्टॉक का मिलान भी किया गया।

पांच साल पुरानी है ड्रेस

DEO कोरबा को प्रस्तुत इस मामले की जाँच रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है, कि बाबू धीरज आर्या के निर्माणाधीन मकान में कोई भी सामग्री नहीं मिली। लेकिन मिडिया ने जिस तरह उसके मकान में ड्रेस और दूसरी सामग्रियां दिखाईं, और बाद में बड़ी मात्रा में स्कूल ड्रेस नाले में बहते हुए मिले, इसमें समानता नजर आती है।

संभव है कि बाबू ने ही कार्रवाई के डर से ड्रेस को नाले में फेंक दिया हो। DEO सतीश पांडेय ने बताया कि स्कूल ड्रेस 05 साल पुराने हैं, तब महिला स्वसहायता समूहों के माध्यम से ड्रेस बनवाये जाते थे। हालांकि स्कूलों में पूरे ड्रेस बाँट दिए गए थे, इसलिए विभाग का स्टॉक नील था। संभवतः ड्रेस महिला समूहों ने रखवाए होंगे, जिसे बाबू ने अपने यहां रख लिया हो।

जाँच में दोषी पाया गया बाबू

DEO ने बताया कि बाबू धीरज आर्या स्टोर का इंचार्ज था और उसके द्वारा अपने मकान में विभाग की सामग्रियां रखे जाने तथा नाले में फेंके जाने की पुष्टि हो गयी है, जिसके बाद उसे निलंबित कर दिया गया है।

बहरहाल शिक्षा विभाग में हुई इस गड़बड़ी का पटाक्षेप तो हो गया है, मगर अब भी इस बात की जाँच करने की जरुरत है कि बाबू के घर पर टाटपट्टी, बर्तन और जो दूसरे सामान मिले थे, वे कहां से उठाये गए थे और कहां गए? वहीं विभाग को दूसरी सामग्रियों के स्टॉक का भी मिलान करना चाहिए, ताकि दूसरी गड़बड़ियां भी उजागर हो सकें।

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