Big Breaking : नहीं रहे पूर्व विधायक और ब्रेवरेज कार्पोरेशन के अध्यक्ष युद्धवीर सिंह जूदेव, जशपुर समेत पूरे क्षेत्र में शोक

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के दिवंगत तेज तर्रार नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. दिलीप सिंह जूदेव के पुत्र और चंद्रपुर से दो बार विधायक रहे युद्धवीर सिंह जूदेव का सोमवार तड़के बैंगलुरू में निधन हो गया। लीवर संबंधी समस्याओं के कारण लंबे समय से उनका इलाज चल रहा था।

विगत 2 दिनों से उनकी स्थिति काफी गंभीर बनी हुई थी। उन्हें इलाज के लिए बैंगलुरू ले जाया गया था। जहां आज सुबह उनका निधन हो गया। उनके निधन की खबर आते ही जशपुर एवं चंद्रपुर समेत पूरे क्षेत्र में शोक की लहर फैल गई है। धारा के विपरीत तैरना और फ़ायर ब्रांड अंदाज वाला इस युवा नेता के जाने से पैलेस गहरे शोक में डूब गया है।

पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि दिनों में उनका लीवर ट्रांसप्लांट किया जाना था, लेकिन स्थिति अनियंत्रित होने की वजह से ट्रांसप्लांट नहीं किया जा सका था। पिछले कुछ महीनों से युद्धवीर सिंह जूदेव लीवर के गंभीर संक्रमण से जूझ रहे थे। हालत बिगड़ने पर पहले उन्हें दिल्ली के इंस्टिट्यूट ऑफ़ लीवर एंड बिलिअरी साइंसेस में भर्ती किया गया था, जहां एक पखवाड़े से ज्यादा समय तक उनका इलाज किया गया, लेकिन स्थिति में कुछ सुधार नहीं होने के बाद उन्हें बेंगलुरू के एस्टर हॉस्पिटल ले जाया गया था।

चंद्रपुर विधानसभा सीट से रह चुके हैं विधायक

स्व.दिलीप सिंह जूदेव के बेटे युद्धवीर सिंह जूदेव चंद्रपुर विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में उनकी जगह उनकी पत्नी संयोगिता सिंह जूदेव को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया था, जहां भाजपा यह सीट हार गई थी।

पिछले दिनों दिल्ली में भर्ती रहने के दौरान प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय समेत कई बड़े नेताओं ने वहां जाकर पूछपरख की थी। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी दिल्ली के इंस्टिट्यूट आफ लीवर एंड बिलिअरी साइंसेस के डाक्टरों से फोन पर बेहतर इलाज के निर्देश दिए थे और जुदेव से उनका हाल जाना था।

बेबाक बोल, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज के चलते युवाओं में थे लोकप्रिय जशपुर रियासत के ‘छोटू बाबा’

जशपुर रियासत के ‘छोटू बाबा’ यानी युद्धवीर सिंह जूदेव के चाहने वाले युवाओं की एक बड़ी संख्या है। अपने बेबाक बोल के चलते युद्धवीर विपक्ष में रहते हुए भी वह हमेशा चर्चित रहे। हर बात दमदारी से उठाई। फिर चाहे भ्रष्टाचार ही क्यों न हो। इसके चलते वह युवाओं में बहुत जल्द ही लोकप्रिय हो गए। कठिन चुनौतियों के बाद भी उन्होंने अपनी विशेष पहचान बनाई थी।

युद्धवीर सिंह अपने स्व. पिता जूदेव सिंह के नक्शे कदम पर चलते रहे। उनकी इसी काबिलियत ने उन्हें कम समय में ही राजनीतिक जीवन में पहचान दे दी। जिला पंचायत अध्यक्ष पद से उनका सफर शुरू हुआ, फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद वे चंद्रपुर से 2 बार विधायक चुने गए। पहली बार 2008 में और फिर 2013 में दोबारा विधायक निर्वाचित हुए। वह संसदीय सचिव और दूसरे काल में बेवरेज कॉरपोरेशन के अध्यक्ष भी बनाए गए।

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