बड़ा फैसला : अब एग्जीक्यूटिव और बिजनेस क्लास में हवाई यात्रा नहीं कर सकेंगे सरकारी अफसर

टीआरपी डेस्क। कोरोना काल में उत्तर प्रदेश सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही में बजट आवंटन को सीमित किए जाने के बाद राज्य के बजट प्रबंधन को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। शासन ने तत्काल प्रभाव से वर्तमान वित्तीय वर्ष में अफसरों की एग्जीक्यूटिव व बिजनेस क्लास की हवाई यात्राएं प्रतिबंधित कर दी हैं।

इसके अलावा नए वाहनों की खरीद पर रोक के साथ कार्यालय व्यय, यात्रा, स्थानांतरण यात्रा, अवकाश यात्रा सहित तमाम तरह के खर्चों में कमी लाने का फरमान सुनाया है। दरअसल कोरोना काल के चलते कई चालू व नई योजनाएं अधर में अटकी हुईं है जिन्हें प्राथमिकता से आरंभ करने हेतु यह फरमान जारी किया गया है।

मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी के मुताबिक केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने कोविड के चलते वित्त वर्ष 2021-22 के द्वितीय तिमाही में कैश प्रबंधन के मद्देनजर विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों के कुल खर्च को 20 प्रतिशत के अंदर सीमित किए जाने के प्रावधान कर दिए हैं।

ऐसे में राज्य सरकार ने भी महामारी को रोकने संबंधी कार्यों व अन्य आवश्यक कार्यों के लिए वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कैश मैनेजमेंट की दृष्टि से कई फैसले किए हैं।

उन्होंने कहा है जो अधिकारी हवाई यात्रा के लिए अधिकृत हैं, वे इकनॉमी क्लास में ही सफर करेंगे। कैश मैनेजमेंट संबंधी जारी निर्देश सरकारी विभागों व कार्यालयों के साथ समस्त स्थानीय निकायों, स्वायत्तशासी संस्थाओं, प्राधिकरणों व राज्य विश्वविद्यालयों पर भी समान रूप से लागू होंगे।

दिये गए अन्य निर्देश

  • केंद्र की मदद से संचालित योजनाओं में केंद्रांश की राशि संबंधित मंत्रालयों से संपर्क कर समय से प्राप्त करने का प्रयास किया जाए।
  • विभिन्न यात्राओं, कंप्यूटर रख-रखाव, स्टेशनरी खरीद, मुद्रण व प्रकाशन के मदों में उपलब्ध राशि से खर्च में कमी की जाए।
  • पूर्व से चल रहे जो वाहन निष्प्रयोज्य हो रहे हैं, उनके स्थान पर न्यूनतम आवश्यकता का आकलन कर आवश्यकतानुसार आउटसोर्सिंग के माध्यम से वाहन अनुबंधित किए जाएं।
  • सरकारी वाहनों के रखरखाव व ईंधन पर फिजूलखर्च न हो।
  • यात्राओं को आवश्यक व अपरिहार्य कार्यों की पूर्ति तक सीमित की जाए। जहां तक संभव हो वीडियोकांफ्रेंसिंग से बैठकें हो।
  • विभागों द्वारा प्रावधानित बजट के सापेक्ष आवश्यकतानुसार ही राशि निकाली जाए।
  • वित्तीय अनुशासन व वित्तीय मितव्ययिता के लिए सभी आवश्यक व प्रभावी कदम उठाए जाएं।
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