बिलासपुर। आय से अधिक संपत्ति और राजद्रोह मामले में फंसे निलंबित ADG जीपी सिंह को फिलहाल राहत नहीं मिली है। मंगलवार को हाईकोर्ट में दो घंटे तक बहस चली इसके बाद दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।

IPS जीपी सिंह ने कोर्ट में नई याचिका पेश करते हुए आपराधिक प्रकरण निरस्त किए जाने की मांग की थी। इसमें कहा गया कि FIR से पहले शासन ने कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया है। मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे की सिंगल बेंच में हुई।

अधिवक्ता आशुतोष पांडेय के माध्यम से हाईकोर्ट में पेश की गई याचिका में कहा गया कि धारा 17 (क) के तहत FIR से पहले सामान्य प्रशासन विभाग और केंद्रीय कार्मिक विभाग से अनुमति लेना जरूरी है। मगर ऐसा नहीं किया गया है। उन्होंने यह जानकारी आरटीआई के जरिए निकलवाई है। लिहाजा, याचिका में FIR को निरस्त करने की मांग की गई है। साथ ही अंतरिम राहत के तौर पर मामले की सुनवाई होते तक FIR पर स्टे देने की मांग की गई।

क्या है धारा 17 (क)

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि राज्य शासन ने IPS अफसर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए ही धारा 17(क) का प्रावधान तय किया गया है। यह केंद्र सरकार की ओर से बनाया गया नियम है। यह नियम इसलिए बनाया गया है कि कोई भी अफसर जांच व कार्रवाई के नाम पर प्रताड़ना के शिकार न हो।

सुप्रीम कोर्ट से भी मिली थी निराशा

IPS जीपी सिंह ने हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। मगर सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को हाईकोर्ट स्थनांतरित कर दिया था। इस बीच जीपी सिंह के अधिवक्ता ने याचिका को वापस ले लिया। यही वजह है कि इस बार उनकी तरफ से दोबारा धारा 482 के तहत याचिका दायर कर आपराधिक प्रकरण को चुनौती देते हुए निरस्त करने की मांग की है।

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