रायपुर। बर्ड फ्लू को लेकर छत्तीसगढ़ में भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। पशुपालन मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया कि पशुपालन विभाग ने जिला अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए है। पक्षियों की मौत पर सम्बंधित जगहों में सावधानी बरती जाए। सभी पोल्ट्री फार्म में लगातार निगरानी बनाए रखें।

आपको बता दें कि पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश सहित देश के पांच राज्यों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हो गई है। मध्यप्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, केरल, बिहार, हरियाणा में बर्ड फ्लू के कारण पक्षियों की मौत की खबरें हैं।

आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में कड़कनाथ का उत्पादन, पालन सबसे ज़्यादा है। अभी 250 से ज़्यादा समूह व व्यक्ति कड़कनाथ व देसी चूजों का पालन कर रहे हैं। इनके पास अभी 50000 से ज़्यादा सिर्फ कड़कनाथ के चूजे पल रहे हैं। जो सम्भाग ही नहीं बल्कि प्रदेश भर में सबसे ज़्यादा हैं। सप्लाई भी दूसरे प्रदेशों में हो रही है। ऐसे में बर्ड फ्लू को देखते हुए सभी पशुपालक और विभाग को सतर्क रहना अनिवार्य है।

विशेषज्ञों के अनुसार फ्लू का वायरस पक्षियों के थूक, स्वैब और मल में होता है। इसका वायरस इंसानी शरीर में आंखों, नाक या मुंह के ज़रिए जा सकता है। ऐसे में पोल्ट्री फॉर्म उत्पाद का व्यवसाय करने वालों, किसानों और अधपका मुर्गा, अंडा खाने वालों को इससे नुकसान हो सकता है।

फिलहाल सुरक्षा जरूरी

  • जितना सम्भव हो सके पोल्ट्री फॉर्म के पास जाने से बचें।
  • उन राज्यों में जाने से बचें जहां बर्ड फ्लू फैला हुआ है।
  • बाहर से पका हुआ पोल्ट्री उत्पाद खाने से बचें।
  • साफ- सफाई का ध्यान रखें।

सरकार द्वारा जारी निर्देश

1. भारत सरकार के विभागीय वेबसाईट (www.dahd.nic.in) से, बर्ड फ्लू रोग के नियंत्रण एवं रोकथाम के संबंध में दिये गए कार्ययोजना का साक्षर पालन करें।
2. भारत सरकार के गाइड लाईन्स में दिये गए सैम्पल साईज का पालन करते हुए नमूने एकत्र कर पाक्षिक अन्तराल में, राज्य स्तरीय रोग अन्वेषण प्रयोगशाला, रायपुर को प्रस्तुत किया जाना सुनिश्चित करे।
(minimum) serum 6 sample/6 cloacal swab/6 Tracheal Swab (VTM) Pooled cold chain मे) इस संदर्भ में समन्वय स्थापित कर कार्य करे।
3. विकारीय सामग्री (perishable good) विक्रय करने वाले बाजार wet market, poultry market chain supply areas, बतख पालन वाले क्षेत्र एवं जंगली व अप्रवासी पक्षियों के इलाकों में विशेष निगरानी करावें..अचानक पक्षियों मे (बतख, कौवे, कुक्कुट एवं प्रवासी पक्षियां) बड़ी संख्या में मृत्यु होने पर बायो-सेक्यूरिटी नियमों का पालन करते हुए मृत पक्षियों का नमुना एकत्र कर राज्य स्तरीय रोग अन्वेषण प्रयोगशाला, पंडरी, रायपुर से समन्वय बना कर NIHSAD Bhopal को प्रेषित करना सुनिश्चित करें।
4. वन विभाग से समन्वय स्थापित कर अक्सर अप्रवासी पक्षियों के देखे जाने वाले क्षेत्र जैसे- राष्ट्रीय अभ्यारण्य, पोखर, झील को चिन्हाकित कर उन क्षेत्रों के समीप के poultry population के surveillance (निगरानी) and sero surveillance हेतु विशेष कार्ययोजना बना कर उस पर अमल करें।
5. प्रचार प्रसार द्वारा पोल्ट्री व्यवसाय से जुड़े लोगों (population at risk) को बर्डफ्लू रोग के zoonotic importance एवं रोकथाम संबंधी जानकारी से अवगत करावें।
6. बैकयार्ड पोल्ट्री एवं व्यवसायिक पोल्ट्री से जुड़े सभी लोगों को, पक्षियों में असामान्य बीमारी एवं मृत्यु की सूचना तुरन्त निकटतम पशु चिकित्सा संस्था में देने संबंधी जानकारी देवें।
7. भारत सरकार के गाइड लाइन्स में रोग उदभेद की स्थिति से निपटने आवश्यक उपकरण, रसायन एवं पी.पी.ई किट तैयार रखें..
8. जिले के शासकीय व निजी पोल्ट्री प्रक्षेत्र, पोल्ट्री व्यवसायिक केन्द्र इत्यादि में जैव सुरक्षा के सभी नियमों से अवगत करावे एवं उनका पालन किये जाने संबंधी निर्देश पारित करें..
9. बर्ड पलू रोग के नियंत्रण एवं रोकथाम के संबंध में किये गए कार्यों का प्रतिवेदन अधोहस्ताक्षरी को पाक्षिक (15 दिवस अन्तराल में) प्रस्तुत करे..

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