41 साल की हुई बीजेपी
41 साल की हुई बीजेपी

जानें अटल से मोदी तक का सफर

टीआरपी डेस्क। भारतीय जनता पार्टी आज 6 अप्रैल को 41 साल की हो गई है, 41 साल की उम्र में बीजेपी किसी युवा की तरह बुलंदियों पर है। भारतीय जनता पार्टी आज की तारीख में देश की सबसे बड़ी और प्रभावशाली पार्टी है। बीजेपी के विस्तार का इतिहास बहुत पुराना नहीं है. आइये जानते हैं इस पार्टी के अब तक के सफर की कुछ अहम् बातें।

हिंदुत्व की राजनीति करने वाली पार्टी



अटल बिहारी वाजपेयी के बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सबसे ज़्यादा ताक़तवर हुई। बीजेपी एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में खुलकर हिन्दुत्व की राजनीति करने वाली पार्टी के रूप में जानी जाती है. आज के दिन ही 6 अप्रैल 1980 को बीजेपी की स्थापना हुई थी। पहले यह भारतीय जनसंघ के रूप में जाना जाता था। भारतीय जनसंघ की स्थापना श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1951 में की थी। अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के पहले अध्यक्ष बने थे। पार्टी को मजबूत करने में अटल बिहारी वाजेपयी और लालकृष्ण आडवाणी की अहम भूमिका रही है।

तब केवल 2 सीटें जीतीं थी बीजेपी ने


बीजेपी का चुनाव चिह्न कमल का फूल है. कमल फूल को बीजेपी हिन्दू परंपरा से जोड़कर देखती है। 1980 में बीजेपी के गठन के बाद पार्टी ने पहला आम चुनाव 1984 में लड़ा. तब बीजेपी को केवल दो सीटों पर ही कामयाबी मिली थी। 1925 में डॉ हेडगवार ने राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) की स्थापाना की थी, आरएसएस को बीजेपी का मातृ संगठन माना जाता है. बीजेपी के ज़्यादातर बड़े नेता आरएसएस से जुड़े हैं।

आडवाणी की रथयात्रा से हुआ धार्मिक ध्रुवीकरण


आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा भारतीय राजनीति की एक बड़ी घटना है। जब मंडल राजनीति के कारण हिन्दुओं के बीच तीखा मतभेद उभरकर कर सामने आया उसी वक़्त आडवाणी ने अयोध्या आंदोलन से धार्मिक ध्रुवीकरण को मजबूत किया। आडवाणी की यात्रा के दौरान सांप्रदायिक दंगे भी हुए, लेकिन बीपी सिंह की मंडल राजनीति पर आडवाणी की यह यात्रा भारी पड़ गई थी।

कांग्रेस के खिलाफ गठबंधन के चुनाव में मिली बढ़त


1989 में बीजेपी 89 सीट पर पहुंच चुकी थी. वीपी सिंह का कहना था कि जनता दल का वोट बीजेपी में शिफ्ट हुआ, इसलिए इतनी सीटों पर जीत मिली। हालांकि इस चुनाव में जनता दल को भी 143 सीटों पर जीत मिली थी।इस चुनाव में कांग्रेस के ख़िलाफ़ सारी राजनीतिक पार्टियों ने मिलकर चुनाव लड़ा था और इसमें राजीव गांधी और कांग्रेस को करारी हार मिली थी।

बाबरी मस्जिद विध्वंश का भाजपा को मिला लाभ


6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिरा दी गई। बाबरी मस्जिद तोड़ने में शामिल होने का आरोप बीजेपी के कई बड़े नेताओं पर लगा। इनमें लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी से लेकर उमा भारती तक शामिल हैं।


1996 के चुनाव में बीजेपी लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। तब भारत के राष्ट्रपति ने बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। हालांकि बीजेपी सरकार कुछ दिनों में ही गिर गई। 1998 में बीजेपी ने फिर अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर केंद्र में सरकार बनाई। अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने।

बीजेपी ने फिर 1999 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन बनाकर लोकसभा चुनाव लड़ा. इस गठबंधन में 20 से अधिक दल शामिल हुए. गठबंधन को 294 सीटों पर जीत मिली। इसमें बीजेपी को 182 सीटें हासिल हुई थीं। एक बार फिर से अटल बिहारी वाजपेयी प्रधामंत्री बने और इस बार उन्होंने पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा किया।

बिना गठबंधन के मोदी ने बनाई सरकार


2014 बीजेपी के लिए सबसे अहम साल रहा. गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने 282 सीटों पर जीत हासिल की. इस बार बीजेपी को सरकार बनाने के लिए किसी पार्टनर की ज़रूरत नहीं पड़ी। मोदी ने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा और प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे. 2019 का चुनाव भी मोदी के नेतृत्व में लड़ा गया, और इस बार भी भाजपा के गठबंधन ने बहुमत हासिल किया। इस कार्यकाल में मोदी और भी मजबूत होकर उभरे हैं। वे एक के बाद बड़े फैसले ले रहे हैं और पार्टी तथा संघ के एजेंडे को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं।

Trusted by https://ethereumcode.net