रायपुर/बिलासपुर। साल 2014 में जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता (ईई) आलोक अग्रवाल के ठिकानों पर पड़े एसीबी के छापे के मामले में कोर्ट के आदेश के बाद छत्तीसगढ़ के चर्चित आईपीएस मुकेश गुप्ता और आईपीएस रजनीश सिंह के खिलाफ बिलासपुर में एफआईआर दर्ज होने की खबर आ रही है। कोर्ट में दाखिल परिवाद में याचिकाकर्ता ने मुकेश गुप्ता और आईपीएस रजनीश सिंह पर षडयंत्र समेत कई आरोप लगाए गए हैं।

सीजेएम कोर्ट में प्रस्तुत किया गया था परिवाद

याचिकाकर्ता पवन अग्रवाल ने इस मामले में एसीबी/ईओडब्ल्यू के अधिकारियों के विरूद्ध अपराध दर्ज करने 156 (3) के तहत सीजेएम कोर्ट में परिवाद प्रस्तुत किया था। परिवाद में यह दलील दी गई थी कि सर्च वारंट में अपराध नंबर दर्ज नहीं था, जबकि सर्च वारंट में आलोक अग्रवाल के विरूद्ध एसीबी में अपराध दर्ज होने की बात कही गई थी।

प्रस्तुत परिवाद में पवन अग्रवाल ने बताया कि उनके भाई आलोक अग्रवाल जल संसाधन विभाग में ईई के पद पर कार्यरत रहे, लेकिन उनके द्वारा संबंधित कार्य क्षेत्र में किसी तरह का काम नहीं किया गया। दोनों का कार्य क्षेत्र अलग था। दोनों भाई कभी साथ नहीं रहे। न ही एक-दूसरे पर आश्रित रहे।

परिवाद पत्र में एसीबी के अधिकारी विजय कटरे के हवाले का जिक्र करते हुए कहा गया है कि यह पूरी कार्रवाई तत्कालीन एडीजी और एसीबी चीफ रहे मुकेश गुप्ता और तत्कालीन एसपी रजनीश सिंह के मौखिक निर्देश के बाद की गई थी।

याचिका की सुनवाई करते हुए सीजेएम बिलासपुर ने इस परिवाद को पंजीबद्ध कर आदेश देते हुए लिखा है कि परिवादी के द्वारा पुलिस अधीक्षक राज्य आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो से जांच कराए जाने का निवेदन किया गया है,किंतु प्रस्तुत परिवाद में आर्थिक अपराध के अपराध किए जाने के संबंध में परिवाद में उल्लेख नहीं किया गया है, और ना ही ऐसा कोई दस्तावेज पेश किया गया है।

ऐसी स्थिति में प्रस्तुत परिवाद की जांच पुलिस अधीक्षक राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो रायपुर से कराये जाने की आवश्यकता दर्शित नहीं होती। बल्कि इस न्यायालय के सुनवाई क्षेत्राधिकार में स्थित थाना सिविल लाईंस से कराया जाना उचित प्रतीत होता है। सीजेएम कोर्ट ने पुलिस को दिए आदेश में कहा है कि एफआईआर दर्ज कर इस प्रकरण में संपूर्ण विवेचना की जाए। विवेचना उपरांत अंतिम प्रतिवेदन/खात्मा/खारिजी जो भी हो, कोर्ट में प्रस्तुत किया जाए।

जानें पूरा मामला: 2014 में अग्रवाल बंधुओं के घर पर एसीबी ने मारा था छापा

दरअसल मामला जल संसाधन विभाग के ईई रहे आलोक अग्रवाल और उनके भाई पवन अग्रवाल के विरूद्ध एसीबी की कार्रवाई से जुड़ा है। एसीबी ने 30 दिसंबर 2014 को अग्रवाल बंधुओं के घर पर छापा मारा था। इस छापे में करोड़ों रूपए की बेनामी संपत्ति का खुलासा किया गया था। साल 2010 से लेकर 2013 के बीच हुए भ्रष्टाचार की शिकायत को आधार मानकर एसीबी ने अपराध दर्ज किया था।

तब निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता थे एसीबी चीफ

जिस वक्त जल संसाधन विभाग के ईई आलोक अग्रवाल के ठिकानों पर छापे डाले गए थे, तब निलंबित आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता एसीबी चीफ थे, लिहाजा बिलासपुर पुलिस की जांच का दायरा मुकेश गुप्ता तक जा सकता है।

आपको बता दें कि इससे पहले भी सीनियर आईपीएस मुकेश गुप्ता विवादित रहे हैं। उन्हें सरकार ने निलंबित भी किया। इस बार मुकेश गुप्ता के साथ साथ आईपीएस रजनेश सिंह के खिलाफ भी एफआईआर की खबर है। ऐसी हालात में पहले से ही कई आरोपों का सामना कर रहे दोनों अफसरों की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।

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