ब्रसेल्स। बेल्जियम की चैम्पियन पैरालंपियन मरीकी वरवूर्ट ने मंगलवार को 40 साल की उम्र में इच्छा मृत्यु के

जरिए अपने जीवन का अंत कर लिया। बता दें कि इच्छामृत्यु बेल्जियम में वैध है और इस एथलीट ने 2016

रियो खेलों के बाद इच्छामृत्यु की घोषणा कर दी थी।

मरीकी ने हालांकि उस समय कहा था कि खेल ने उन्हें जीने का कारण दिया है। उन्होंने 2016 पैरालंपिक्स के

दौरान प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, ‘मैं अब भी प्रत्येक लम्हे का लुत्फ उठा रही हूं. जब यह लम्हा आएगा,

जब अच्छे दिनों से अधिक बुरे दिन होंगे, तब के लिए मेरे इच्छामृत्यु के दस्तावेज तैयार हैं, लेकिन अभी यह

समय नहीं आया है।

 

 

मांसपेशियों की बीमारी से पीड़ित थीं मरीकी

मरीकी मांसपेशियों की बीमारी से पीड़ित थीं, जिससे उन्हें लगातार दर्द होता था, उनके पैरों में लकवा हो गया था

और वह बमुश्किल सो पाती थीं। मरीकी को 14 साल की उम्र में इस बीमारी का पता चला था जिसके बाद

उन्होंने खेल को अपना जीवन बनाया और व्हीलचेर पर बास्केटबॉल, तैराकी और ट्रायथलन में हिस्सा लिया।

2012 लंदन खेलों में स्वर्ण और रजत पदक

मरीकी ने 2012 लंदन खेलों में 100 मीटर में स्वर्ण और 200 मीटर में रजत पदक जीता, जबकि चार साल

बाद रियो खेलों में वह 400 मीटर में रजत और 100 मीटर में कांस्य पदक जीतने में सफल रहीं। इस समय

तक उनकी आंखों की रोशनी काफी कम हो गई थी और उन्हें मिर्गी के दौरे पड़ते थे। उन्होंने तब कहा था

कि यह उनकी अंतिम प्रतियोगिता है। आखिरकार उन्होंने जीवन के अंत ​के लिए इच्छा मृत्यु का गले लगा लिया।

2008 में ही कर दिए थे इच्छामृत्यु के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर

मरीकी ने इच्छामृत्यु के दस्तावेजों पर 2008 में ही हस्ताक्षर कर दिए थे। उन्होंने तब कहा था कि अगर

इच्छामृत्यु के उनके दस्तावेज तैयार नहीं होते तो शायद वह पहले ही आत्महत्या कर चुकी होतीं, क्योंकि

इतने दर्द और पीड़ा के साथ जीना काफी मुश्किल है।

 

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