कोरोना से टूटी 800 साल पुरानी परंपरा, दंतेश्वरी मंदिर के फागुन मड़ई में आमंत्रित देवी-देवताओं की 6 दिन पहले ही विदाई
कोरोना से टूटी 800 साल पुरानी परंपरा, दंतेश्वरी मंदिर के फागुन मड़ई में आमंत्रित देवी-देवताओं की 6 दिन पहले ही विदाई

दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ में बढ़ते कोरोना संक्रमण का असर अब धार्मिक रीति-रिवाज और परम्पराओं पर भी पड़ना शुरू हो गया है। इसके चलते दंतेवाड़ा में 800 साल पुरानी परंपरा टूट गई। ऐतिहासिक दंतेश्वरी मंदिर के फागुन मड़ई (मेला) में आमंत्रित किए जाने वाले देवी-देवताओं, उनके पुजारियों और सेवादारों को 6 दिन पहले ही विदा कर दिया गया । पहले इनकी विदाई एक अप्रैल को की जानी थी। यह निर्णय प्रधान पुजारी की ओर से लिया गया है।

800 से ज्यादा देवी देवता पहुँचते हैं फागुन मड़ई में

मां दंतेश्वरी मंदिर परिसर में सैकड़ों वर्षों से फागुन मड़ई का आयोजन किया जा रहा है। इसमें छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों से भी देवी-देवता और उनके छत्र आते हैं। करीब 11 दिनों तक चलने वाली इस मड़ई में हर साल 800 से ज्यादा देवी-देवता पहुंचते हैं। उनके साथ ही हजारों की संख्या में पुजारी और सेवादार भी पहुंचते हैं। वहीं ग्रामीणों की भीड़ भी इस मड़ई में उमड़ती है । इस बार सिर्फ 450 देवी देवता ही पहुंचे। माना जा रहा है कि कोरोना संक्रमण के चलते ऐसा हुआ है।

परंपरा के साथ दी गई विदाई

समय से पहले ही संपन्न किये गए फागुन मड़ई के आखिर में परम्परानुसार उपहार देकर देवी देवताओं को ससम्मान विदा किया गया। साड़ी, गुल्लक, सम्मान राशि और अन्य सामग्रियां भेंट की गई। यहाँ ग्रामीणों को कोरोना के खतरे के चलते विदाई के लिए गए फैसले से अवगत कराया गया।

राजा पुरुषोत्तम देव ने शुरू की थी पूजा

मंदिर के प्रधान पुजारी हरेंद्र नाथ ने बताया कि राजा पुरुषोत्तम देव ने इस पूजा की शुरुआत की थी, और तब से यह परंपरा चली आ रही है। उन्होंने बताया कि कोरोना का संक्रमण अगर गावों तक फ़ैल गया तो विकट स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। इसलिए बीच में ही मड़ई को स्थगित करना पड़ा। विदाई के दौरान देवी देवताओं से माफ़ी भी मांगी गई। हालाँकि 9 वें दिनों तक यहाँ देवी माँ की पूजा होगी और पालकी भी निकलती रहेगी, मगर आम लोग इसमें शामिल नहीं होंगे।

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