रायपुर : प्रदेश में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बद से बदतर होता जा रहा है। राज्य स्वास्थ्य संसाधन केंद्र के ताजा शोध में यह बात सामने आई है कि प्रदेश के कई इलाकों में हवा की गुणवत्ता मानकों के अनुरूप नहीं है। खासकर कोरबा और राजधानी रायपुर में स्थिति बहुत खराब है। इन क्षेत्रों में पीएम 2.5 के स्तर पर पाया गया है जो की राष्ट्रीय मानक स्तर (60 ug/m3 ) के अनुसार लगभग अट्ठाईस गुना और रायपुर में लगभग ग्यारह गुना अधिक है।

क्या होता है PM 2.5

PM का मतलब होता पार्टिकुलेट मैटर और 2.5 और 10 इस मैटर या कण का आकार होता है. दिखने वाली नाक में घुसकर म्यूकस में मिल जाती है, इसे हम साफ कर सकते हैं, लेकिन पार्टिकुलेट मैटर 2.5 और 10 का आकार इतना छोटा होता है कि यह आंखों के लिए अदृश्य होता है, और इस लिए यह बहुत हानिकारक होता है। पार्टिकुलेट मैटर 2.5 और 10 माइक्रोस्कोपिक डस्ट पार्टिकल होते हैं, यानी इतने सूक्ष्म कि देखने के लिए माइक्रोस्कोप यानी सूक्ष्मदर्शी की जरूरत पड़ जाए. हालांकि, इनके लिए हमारी बॉडी में घुसना और नुकसान पहुंचाना बहुत आसान होता है।

हृदय और फेफड़ों की बीमारी के साथ मानसिक संतुनल हो सकता है खराब

राज्य नोडल अधिकारी-स्वास्थ्य का कहना है कि “हवा के नमूनों के परिणाम चिंताजनक हैं, इसमें पाए गये हानिकारक पदार्थों का स्तर बहुत ज्यादा हैं जो की स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। कई अध्ययनों से पता चला है कि PM का स्तर अगर 2.5 या उससे ज्यादा है तो उसका सीधा असर फेफड़े (Lungs) और हृदय (Heart) पर पड़ता है। इसके अलावा,मैंगनीज, सीसा और निकल वातावरण में मानको से अधिक पाए जाने पर हानिकारक असर डालते हैं और मानव स्वास्थ्य पर उनके प्रभावों का पूर्व में अन्य शोधो में उल्लेख है। मैंगनीज और सीसा न्यूरोटॉक्सिन हैं जबकि निकल एक कार्सिनोजेन है। मानव घरों और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की छतों से जहरीले पदार्थों के ऐसे उच्च स्तर की खोज चिंता का एक वास्तविक कारण है”

अनुसंधान ने यह भी साबित किया है कि पीएम 2.5 (placental barrier) को पार करता है और इसके परिणामस्वरूप नवजात शिशुओं में जन्म दोष उत्पन्न कर सकता है। यह लोगों में सांस की बीमारी, हृदय रोग, स्ट्रोक और मानसिक असंतुलन भी पैदा कर सकता है।

रायपुर और कोरबा में हवा बेहद खराब

अध्ययन की प्रमुख शोधकर्ता पुनीत कुमार ने बताया कि “रायपुर और कोरबा से वायु के नमूनों के परिणाम बताते हैं कि इस क्षेत्र में पिछले दो वर्षों की अवधि में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब स्तर पर पहुंच गई है। ये नमूने नवंबर 2020 और मई 2021 के बीच, COVID-19 की पहली और दूसरी लहर के दौरान लिए गए थे और जब देश में कुल या आंशिक लॉकडाउन था और कई शहर नीले आसमान और बर्फ से ढके पहाड़ों को देख रहे थे, कोरबा और रायपुर के निवासी कोयला संयंत्र केंद्रों के आसपास ख़राब हवा के बीच जीवित रहने एवं अपनी दिनचर्या जारी रखने के लिए मजबूर थेI इन शहरों में रहने वाले निवासियों की गवाही से इसकी पुष्टि होती है। अन्य स्थानों के विपरीत कोरबा और रायपुर में वायु प्रदूषण साल भर की समस्या है।”

भारी मात्रा में मिले सिलिका, निकल, सीसा और मैंगनीज के कण

इस जाँच हेतु नवंबर 2020 से मई 2021 तक रायपुर से हवा के 12 सैंपल और मार्च 2021 से जून 2021 के बीच कोरबा से हवा के 14 सैंपल लिए गए थे। जिसकी जाँच में इन सैंपल्स में भारी मात्रा में हानिकारक तत्व थे। जिनमें सिलिका, निकल, सीसा और मैंगनीज के कण प्रमुख रुप से और बड़ी मात्रा में पाए गए।

  • सिलिका – रायपुर और कोरबा के सभी नमूनों में क्रिस्टलीय सिलिका का स्तर ऊंचा देखा गया। कोयला राख और निर्माण कार्य में उपयोग होने वाले रेत दोनों में क्रिस्टलीय सिलिका के उच्च स्तर होते हैं। नुकसान – सिलिका के संपर्क से सिलिकोसिस नामक फेफड़ों की बीमारी होती है।
  • निकल – रायपुर के साथ-साथ कोरबा के सभी नमूनों में निकल का स्तर WHO के वार्षिक स्वास्थ्य-आधारित दिशानिर्देश मानक 0.0025μg/m3 से अधिक है। नुकसान – निकल के दीर्घकालिक असर से कैंसर की सम्भावना होती है। वायु में निकल के संपर्क में आने से शरीर में श्वसन और प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune system) प्रभावित होती है।
  • सीसा – रायपुर से 12 नमूनों में से छह नमूने सीसा के उच्च स्तर (Pb) को दिखाते हैं। नुकसान – जब कोई व्यक्ति थोड़े समय के लिए सीसा के उच्च स्तर के संपर्क में आता है, तो परिणाम स्वरुप (lead poisoning) होता है, जिससे पेट में दर्द, कब्ज, थकान, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, भूख न लगना, स्मृति हानि, दर्द या झुनझुनी, हाथ और/या पैर या कमजोरी हो सकती है। । चूंकि ये लक्षण अपेक्षाकृत सामान्य हैं और अन्य स्थितियों के कारण भी हो सकते हैं, (lead poisoning) को आसानी से अनदेखा किया जा सकता है।
  • मैंगनीज – रायपुर में सभी बारह नमूनों में मैंगनीज़ का स्तर (0.05μg/m3) यू.एस. ईपीए संदर्भ सांद्रता से अधिक है। कोरबा में, 14 में से 11 सैंपल में मैंगनीज अधिक मिला। नुकसान – लंबे समय तक उच्च-स्तरीय मैंगनीज के संपर्क में आने से न्यूरोलॉजिकल क्षति हो सकती है जिसे मैंगनिज्म के रूप में जाना जाता है (मैंगनिज्म पार्किंसंस रोग से एक अलग बीमारी है), इसके उन्नत चरण में चेहरा मुखौटा जैसा हो जाता है, चाल में बदलाव, झटके और अन्य मनोवैज्ञानिक तकलीफे हो सकती हैं ।

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