सोशल मीडिया पर छाया छत्तीसगढ़ का हिट एंड रन केस... क्या किसी की जान की कीमत है मात्र 10 हजार रुपए? पूर्व डीपीएस स्कूल के छात्र हो रहे लामबंद

रायपुर। इन दिनों इंस्टाग्राम पर चल रहा कैंपेन छत्तीसगढ़ में चर्चा का विषय बना हुआ है। जिसके जरिए सोशल मीडिया पर कैंपेन के जरिए एक ही सवाल किया जा रहा है कि क्या इंसान के जान की कीमत 10 हजार रुपए है। इस सवाल के साथ डीपीएस के छात्र लामबंद हो रहे हैं।

इस कैंपेने के अनुसार अगर आप किसी रईसजादे हैं या आपकी पहुंच उपर तक है तो आपके लिए एक इंसान को मारना बहुत आसान हो जाएगा। आप उस इंसान को कार से हिट करिए भले ही आपने यह कार शराब के नशे में ही क्यों न चलाई हो। पुलिस आपको 10 हजार के मुचलके पर बकायदा घर जाकर लेकर आएगी और फिर 10 मिनट के अंदर छोड़ भी देगी।

हाल ही में छत्तीसगढ़ के भिलाई नगर में एक ऐसा ही वाकया हुआ है। जिसके खिलाफ अब डीपीएस के पूर्व छात्र सोशल मीडिया में कैंपेन चला रहे हैं। जिसका मकसद सिर्फ हक की लड़ाई लड़ना और मृतक को इंसाफ दिलाना है।

क्या है मामला

बता दें कि पिछले सोमवार को सिविक सेंटर टीए बिल्डिंग के समीप तेज रफ्तार हुंडई क्रेटा (सीजी 07 बीवी 0011) द्वारा एक्टिवा में सवार शैलेंद्र पांडेय को ठोकर मारी गई थी। जिसके बाद उन्हें गंभीर रूप से घायल अवस्था में सेक्टर-9 अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां डॉक्टरों ने मामले को गंभीर बताते हुए तत्काल रामकृष्ण अस्पताल रेफर कर दिया था। तमाम कोशिशों के बाद भी डॉक्टर शैलेंद्र पांडेय को नहीं बचा सके।

इस संबंध में मृतक शैलेन्द्र पाण्डेय के पुत्र श्रेयश पाण्डेय ने कोतवाली थाना सेक्टर-6 में एफआईआर दर्ज कराई थी। जिसमें श्रेयश ने बताया कि जिस चार पहिया वाहन से ठोकर मारी गई थी वह एक रसूखदार परिवार के नाम से पंजीकृत है। वहीं घटना के दौरान आरोपी नशे में होना प्रतीत हो रहा था।

पुलिस की कार्रवाई संदेहास्पद

श्रेयश ने जानकारी देते हुए बताया कि डॉक्टरों के अनुसार चोट इतनी गंभीर थी कि वह एक सामान्य दुर्घटना में घायल होना संदेहास्पद प्रतीत हो रहा है। घटना के बाद से ही उनके पिता शैलेन्द्र पाण्डेय की स्थिति गंभीर बनी हुई थी और वे वेंटिलेटर पर थे।

उन्होंने बताया कि इस संबंध में मंगलवार को एफआईआर दर्ज कराई गई थी, जिसके बावजूद आरोपी को नहीं पकड़ा गया। इस घटना के पांच दिन गुजरने के बाद पुलिस ने रविवार को आरोपी को कार समेत गिरफ्तार किया। मगर 10 हजार रुपए मात्र के मुचलके पर मात्र 10 मिनट के अंदर अवकाश के दिन छोड़ भी दिया। आरोपी पर 304 ए के तहत कर्रवाई होनी थी मगर पुलिस ने धारा 337 के तहत कार्रवाई कर आरोपी अभिनव बाफना को छोड़ दिया।

आरोपी की ऊपर तक पहुंच, जैसे तथ्य आए सामने इस संबंध में श्रेयश ने बताया कि घटना के बाद से विभिन्न लोगों के माध्यम से आरोपी की पतासाजी उनके स्तर पर की जा रही थी। इस दौरान कई तथ्य सामने आये जिसमें आरोपी का उपर तक पहुंच होने की बात आई, जिसके चलते इस मामले को देख लेना बताया गया। इस संबंध में आरोपी के पिता से भी संपर्क किया गया, जिन्होंने मामला देख लेने की बात कही।

वहीं श्रेयस ने टीआरपी को बताया कि इस मामले में उपरी दबाव के चलते पुलिस भी जांच करने से कतरा रही है। इतना ही नहीं एएसआई अर्जुन पटेल ने को केस छोड़ देने की बात भी कह दी है। इतना ही नहीं श्रेयस ने बताया कि उनपर पुलिस द्वारा सोशल मीडिया में चलाए जा रहे कैंपेन को बंद करने का दबाव बनाया जा रहा है।

अगर नहीं हुई सुनवाई को करूंगा प्रोटेस्ट

श्रेयस का कहना है कि अगर उन्हें अपने पिता को इंसाफ दिलाने के लिए प्रोटेस्ट भी करना पड़ेगा तो वो तैयार है। उनका बस यह कहना है कि ऐसा आज मेरे पिता के साथ हुआ कल को किसी और परिजनों के साथ हो सकता है।

डीपीएस के पूर्व छात्रों ने सोशल मीडिया कैंपेन के जरिए उठाए कुछ सवाल

  • क्या इंसान के जान की कीमत मात्र 10 हजार रुपए है?
  • अगर आप किसी रइस घर से ताल्लुक रखते हैं तो क्या आपको किसी की जान लेने का लाइसेंस मिल जाता है?
  • एक साधारण इंसान अगर शराब पीकर ड्राइव करते हुए पकड़ाता है तो उसपर तत्काल कार्रवाई होती है। मगर ऐसे लोग जिनकी उंची पहुंच है क्या वो शराब पीकर ड्राइव कर सकते हैं और किसी को कार से मार कर भाग सकते हैं?
  • साधारण इंसान अगर नशे में ड्राइव करता हुआ पकड़ा जाता है तो उसकी तुरंत जांच होती है। मगर पैसे वाले लोगों की जांच के लिए क्यों कोई नियम नहीं है।

क्या कहना है पुलिस का

इस मामले में हम जल्द ही कोर्ट में चालान पेश करने वाले हैं। पुलिस का यही प्रयास है कि इस मामले में दोषी को सजा मिले। दुर्घटना का वाहन पुलिस ने जब्त कर लिया है। आरोपी जमानत पर है, आरोपी नशे में था या नहीं इसकी जांच 24 घंटे के अंदर की जाती है। अगर ऐसा संभव नहीं हो पाता है तो गवाहों के बयान के आधार पर पुलिस चालान बनाती है। हमने इस मामले में चालान बना लिया है जल्द ही कोर्ट में इसे पेश किया जाएगा। पुलिस इस मामले में शिकायतकर्ता की पूरी मदद कर रही है।

संजय ध्रुव, दुर्ग एडीशनल एसपी

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