रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के प्रसिद्ध लोक पर्व छेरछेरा की बधाई देते हुए प्रदेशवासियों की खुशहाली, सुख, समृद्धि की कामना की है। उन्होंने ट्वीट में लिखा है कि

छेरछेरा हमर छत्तीसगढ़ के समाजिक तानाबाना अउ आपसी भाईचारा के प्रतीक हे। सियान मन के सिखाए समाजिक कामकाज बर दान अउ भविस्य के चिंता के परंपरा ला बनाए रखबो। अपन अपन जिम्मेदारी निभाभो तभे समाज आघू बढ़ही।

छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने भी छेरछेरा पर्व की बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट कर बधाई संदेश में लिखा है कि-

लोक परब छेरछेरा के जम्मो भाई-बहनी मन ला गाड़ा-गाड़ा बधई… छेरछेरा तिहार जम्मो झन के जिनगी म् खुसी बगरावय, सब्बो किसान संगी मन के कोठी भरे रहय, अहि मोर भगवान ले बिनती हे।

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी ट्विटर पर छेरछेरा पर्व की बधाई दी है। उन्होंने लिखा है कि-

लोक संस्कृति अउ पारंपरिक विरासत के तिहार छेरछेरा पुन्नी के जम्मो संगी-संगवारी मन ल गाड़ा-गाड़ा बधई।

छत्तीसगढ़ का लोकपर्व है छेरछेरा

इस दिन ‘छेरछेरा, कोठी के धान ल हेरहेरा‘ बोलते हुए गांव के बच्चे, अन्न मांगते हैं। पौष माह की पूर्णिमा को धान का कटोरा माने जाने वाल राज्य में छेरछेरा मनाया जाता है। धान की खेती का काम पूरा करके अन्न को सुरक्षित तरीके से घर के कोठी में रखने के बाद उसका कुछ अंश दान करने का यह पर्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी प्रातः काल घर के चौखट पर आता है उसे अपनी मुख्य फसल धान का कुछ हिस्सा दान करने से अगली फसल की पैदावार में बढ़ोतरी होती है।

खेतीहर मजदूरों को मिलेगी सालभर की मजदूरी

पुराने जमाने में धांगर रखने की परंपरा थी जो इलाके में आज भी कायम है। धांगर खेतीहर मजदूर होते हैं और जमींदार या राजा की खेत में धान का उत्पादन करते हैं। इस काम के एवज में अनाज का कुछ हिस्सा उन्हें मिलता है, पर शर्त यह होती है कि जो खेतीहर मजदूर जिस जमींदार की खेत में काम करता है, उसे साल भर दूसरे किसी के पास काम की इजाजत नहीं होती है। पौष पूर्णिमा वह दिन होता है जब धांगरों को साल भर का मेहनाताना जमींदार एक साथ देते हैं। आज भी कई बड़े किसानों की खेत में काम करने वाले खेतीहर मजदूरों को इस दिन साल भर का मेहनताना दिया जाता है।

किसान करते हैं माता अन्नपूर्णा की पूजा

छेरछेरा के पूर्व धान की फसल लेने वाले किसान सुबह अन्न की देवी अन्नपूर्णा की पूजा करते हैं। कृषक वर्ग अन्न की देवी अन्नपूर्णा को लक्ष्मी स्वरूप मानकर पूरी आस्था निष्ठा के साथ पूजा करने के बाद घर में रखे धान को दान कर घर परिवार के लोगों की खुशहाली की कामना करते हैं।

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