चित्रकूट जेल हत्याकांड: गैंगवार में मारे जा रहे मुख्तार अंसारी व मुन्ना बजरंगी के करीबी व शूटर
चित्रकूट जेल हत्याकांड: गैंगवार में मारे जा रहे मुख्तार अंसारी व मुन्ना बजरंगी के करीबी व शूटर

चित्रकूट। गैंगवार का यह खेल छह साल पहले मुन्ना बजरंगी के साले पुष्पजीत सिंह की हत्या से शुरू हुआ। पुष्पजीत के बाद तारिक, फिर जेल में मुन्ना बजरंगी और अब मेराज व मुकीम काला की हत्या कर दी गई।

पूर्वांचल में अपराधियों के बीच वर्चस्व के लिए लगातार आपसी रंजिश चलती रही हैं। वर्तमान में सभी के निशाने पर मुख्तार अंसारी का गिरोह है। इसके सफाया के लिए पूर्वांचल के बाहुबलियों का गठजोड़ बन गया है। इसमें कई सफेदपोश माफिया शामिल हैं। करीब छह साल पहले से मुख्तार के करीबियों पर हमले की शुरूआत हुई। अब तक इस गिरोह के प्रमुख लोगों में मुन्ना बजरंगी, उसके साले पुष्पजीत सिंह, मो. तारिक, पूर्व उप प्रमुख अजीत सिंह की हत्या हो चुकी है। वहीं इस गिरोह के दो प्रमुख किरदार भी चित्रकूट जेल में गैंगवार की भेंट चढ़ गये। इसमें मेराज व मुकीम काला का नाम शामिल है। इन दोनों की हत्या करने वालो अंशु दीक्षित कभी मुख्तार के लिए काम करता था।

कारोबार संभाल रहे साले व उसके दोस्त की हत्या से शुरू हुआ खेल 

मुन्ना बजरंगी की कमर तोड़ने के लिए सबसे पहले उसके साले पुष्पजीत सिंह उर्फ पीजे को निशाना बनाया गया। पुष्पजीत ही मुन्ना के सभी अवैध व वैध कारोबार को संभालता था। 5 मार्च 2016 में पुष्पजीत अपने दोस्त संजय मिश्रा के साथ एक समारोह में शामिल होने जा रहा था। विकासनगर इलाके में बाइक सवार बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर पुष्पजीत व संजय की हत्या कर दी। इसके बाद मुन्ना और पुष्पजीत का करीबी मो. तारिक ने मजबूती से कारोबार को संभाला था। लेकिन उसे भी 2 दिसंबर 2017 की शाम को गोमतीनगर विस्तार इलाके के ग्वारी फ्लाईओवर पर गोलियों से भूनकर मौत की नींद सुला दिया गया। तारिक पर भी पुष्पजीत की तरह ही बाइक सवार बदमाशों ने हमला किया था।

जेल में तीन साल पहले हुई मुन्ना बजरंगी की हत्या 

मुन्ना बजरंगी के करीबियों की हत्या का खुलासा नहीं हो रहा था। वहीं गिरोह पर नेतृत्व का संकट गहरा रहा था। इसी बीच किसी तरह अपने करीबियों को समेटकर मुन्ना बजरंगी दोबारा खड़ा होने की कोशिश कर रहा था। एक साल बाद 9 जुलाई 2018 को बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस वारदात को अंजाम देने वाला सुनील राठी उसी जेल में बंद था। पुलिस के सूत्र बताते हैं कि पूर्वांचल के एक बाहुबली नेता के इशारे पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के माफिया सुनील राठी ने मुन्ना बजरंगी को मौत की नींद सुलाई थी।

अजीत के बाद मेराज व मुकीम काला की हत्या 

मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद 6 जनवरी 2021 को मुख्तार के करीबी व मऊ के मुहम्मदाबाद गोहना के पूर्व उप प्रमुख अजीत सिंह की विभूतिखंड थाने में ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गई। इस वारदात को अंजाम देने के लिए पूर्वांचल व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के छह शूटरों ने 50 राउंड से अधिक गोलियां चलाई थीं। इस हत्याकांड की साजिश रचने में पूर्वांचल के बाहुबली व पूर्व सांसद धनंजय सिंह का नाम सामने आया। पुलिस ने उन पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया। वह इस मामले में फरार चल रहे हैं। अजीत सिंह की हत्या के पांच महीने के अंदर ही चित्रकूट जेल में बंद मुख्तार व मुन्ना बजरंगी के करीबी दो बदमाशों मेराज व मुकीम काला की गैंगवार में हत्या कर दी गई।

मुन्ना बजरंगी के साथ नामजद रहा मेराज 

दिल्ली पुलिस ने जब मुन्ना बजरंगी को मुंबई से गिरफ्तार किया। उससे कई दिनों की पूछताछ के बाद पोटा की भी कार्यवाही की गई। इसी दौरान पुलिस ने मुन्ना के करीबी कहे जाने वाले मेराज को भी दबोच लिया था। मुन्ना व मेराज को एक साथ कई केस में फाइली बनाया गया। मेराज से पूछताछ करने के बाद कई राज उगलवाये गये थे। इसके बाद कई सफेदपोशों को भी निशाना बनाया गया था। पुलिस पर इस दौरान मेराज के नाम पर पूर्वांचल के कई जिलों के बड़े कारोबारियों व सफेदपोशों से वसूली का भी आरोप लगा। गिरफ्तारी के बाद मुन्ना बजरंगी को पूर्वांचल के जेलों में नहीं रखा गया। उनको डर था कि कहीं मुन्ना के नाम का जो खौफ है उसे जेल से कैश कराने लगे। इसके लिए मुन्ना को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जेलों में रखा गया। उसे बरेली, बागपत जेलों में रखा गया। वहीं के जेल में मुन्ना बजरंगी की मुलाकात मुकीम उर्फ काला से हुई। दोनों ने जेल में एक साथ मिलकर गिरोह चलाने लगे। पुलिस सूत्र बताते हैं कि मुकीम ने मुन्ना की आर्थिक रूप से काफी मदद की।

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