टीआरपी डेस्क। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गौठानों में गोबर से वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के लिए मनरेगा से वर्मी टांका निर्माण के कार्यो को प्राथमिकता के आधार पर स्वीकृति प्रदान करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि गौठान समितियों से वर्मी टांका निर्माण के लिए जितनी मांग आती है, उन्हें तत्काल स्वीकृति प्रदान की जाए। मुख्यमंत्री ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में आयोजित छत्तीसगढ़ ग्रामीण रोजगार गारंटी परिषद की बैठक में यह निर्देश दिए। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित बैठक में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के कार्यों की विस्तृत समीक्षा की गई।

मुख्यमंत्री निवास पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी.एस. सिंहदेव उपस्थित थे। कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, वनमंत्री मोहम्मद अकबर, नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव डहरिया, गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि सभी धान खरीदी केन्द्रों में चबूतरों के निर्माण और चबूतरों पर शेड निर्माण के कार्यो को भी प्राथमिकता देते हुए शीघ्रता से पूर्ण किया जाए। उन्होंने कहा कि राज्य के हर धान संग्रहण केन्द्र में एक शेड का निर्माण अवश्य हो।

पूरा कर लिया गया 4500 गौठानों का निर्माण है।

बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में 4649 चबूतरों के निर्माण के लिए स्वीकृति दी गई है। जिनमें से 4630 चबूतरों का निर्माण हो चुका है। मुख्यमंत्री बघेल ने इस वर्ष मनरेगा से राज्य में 5500 गौठानों के निर्माण की स्वीकृति देने के लिए आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि राज्य में वर्तमान में लगभग 4500 गौठानों का निर्माण पूरा कर लिया गया है। ऐसे गौठानों में जहां स्व-सहायता समूह आर्थिक गतिविधियों में सक्रिय हैं, वहां आजीविका केन्द्र के निर्माण की स्वीकृति प्राथमिकता के आधार पर देने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में अधिक से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कृषि कार्य को मनरेगा से जोड़ने, शहरी मनरेगा, मनरेगा की मजदूरी दर बढ़ाने, मनरेगा में 200 दिनों का रोजगार देने के प्रावधान के संबंध में प्रस्ताव तैयार कर केन्द्र सरकार को मंजूरी के लिए भेजने का महत्वपूर्ण निर्णय भी लिया गया।

मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि मनरेगा के तहत नर्सरी, कुंआ और डबरी निर्माण तथा नहर लाईनिंग के कराये गए कार्यो से लोगों को मिलने वाले लाभ के बारे में सर्वे कराया जाना चाहिए। इसी तरह जिले की उपयोगी डायवर्सन सिंचाई योजनाओं की नहर लाईनिंग का कार्य पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कराया जाए, जिससे क्षेत्र के किसानों को सिंचाई सुविधाओं का भरपूर लाभ मिल सके। सीएम बघेल ने यह भी कहा कि जिन क्षेत्रों में पानी में हैवीमेटल्स, आरसेनिक, फ्लोराइड, आयरन की शिकायत है, वहां गांव वालों को सतही जल का उपयोग पेयजल के लिए करने हेतु जागरूक किया जाए। उन्होंने कहा कि खेतों में डबरी और कूपों का निर्माण कराया जाना चाहिए, जिससे पानी की रिचार्जिंग हो सके और जरूरत के समय फसलों की सिंचाई में इसका उपयोग किया जा सके।

मुख्यमंत्री ने वन अधिकार पट्टे प्राप्त हितग्राहियों को जमीन पर फलदार वृक्ष लगाने, बड़े वृक्षों के बीच हल्दी, अदरक, तीखूर जैसी फसलों के लिए प्रोत्साहित किया जाए। मनरेगा से भूमि विकास और जमीन को घेरने के कार्य कराए जाएं। कृषि विभाग के माध्यम से हितग्राहियों की जमीन पर ट्यूबवेल खनन कराकर क्रेडा के माध्यम से सोलर पंप स्थापित किए जाएं, जिससे फसलों के लिए सिंचाई की सुविधा मिल सके। उन्होंने कहा कि इस योजना के लिए वन विभाग को नोडल एजेंसी बनाया जाए।

बैठक में यह भी जानकारी दी गई कि वर्ष 2017 में मनरेगा के तहत निर्मित परिसम्पत्तियों की जियोटेगिंग में छत्तीसगढ़ देश में पहले स्थान पर है। इसी तरह वन अधिकार पत्र प्राप्त हितग्राहियों को लाभान्वित करने और ग्राम पंचायतों के विकास के लिए जीआईएस केन्द्रित योजना तैयार करने में छत्तीसगढ़ देश में प्रथम स्थान पर है। प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन और कृषि तथा उससे जुड़े कार्यो में मनरेगा योजना से खर्च के मामले में छत्तीसगढ़ देश में तीसरे स्थान पर है। मनरेगा से 706 नये ग्राम पंचायत भवन और 672 आंगनबाड़ी केन्द्रों को मंजूरी दी गई है।

बैठक में मुख्य सचिव आर.पी. मण्डल, अपर मुख्य सचिव अमिताभ जैन और सुब्रत साहू, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी, खाद्य विभाग के सचिव डॉ कमलप्रीत सिंह, आदिमजाति कल्याण विभाग के सचिव डी. डी. सिंह, मनरेगा आयुक्त मोहम्मद अब्दुल कैसर हक शामिल हुए। विभिन्न जिलों से छत्तीसगढ़ ग्रामीण रोजगार गारंटी परिषद के सदस्य और अधिकारी इस बैठक में वीडिया कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े।

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