संसद के मानसून सत्र से पहले लोकसभा में नया नेता लाएगी कांग्रेस, राहुल गांधी का नाम सबसे आगे,अधीर रंजन की छुट्टी

नई दिल्ली। कांग्रेस संसद के मॉनसून सत्र से पहले अपने संगठन में कई बड़े बदलाव करना चाहती है और इसी के तहत लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को इस पद से हटा सकती है। सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी का नाम सदन में विपक्ष के नेता के तौर पर सबसे आगे चल रहा है। हालांकि राहुल गांधी अभी तक इस जिम्मेदारी के लिए तैयार नहीं हुए हैं।

बता दें कि विधानसभा चुनाव में हार और कई विपक्षी दलों के एकजुट होकर कांग्रेस को अलग-थलग करने की कोशिशों के बीच कांग्रेस अपनी रणनीति बदल रही है। विपक्ष को एकजुट रखने के लिए पार्टी तृणमूल कांग्रेस के साथ रिश्तों को फिर से बेहतर बनाना चाहती है।

जानकारी के मुताबिक सोनिया और प्रियंका गांधी दोनों ही यह चाहती हैं कि राहुल गांधी यह भूमिका स्वीकार कर लें और इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इसको लेकर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

10 जनपद का करीबी नेता बनाया जा सकता है कांग्रेस अध्यक्ष

बताया जा रहा है कि अगर राहुल गांधी यह पद स्वीकार कर लेते हैं तो इसके बाद कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष का पद परिवार से बाहर के किसी सदस्य को मिल सकता है। अगर ऐसा होता है तो इससे जी-23 नेताओं की मांग भी पूरी हो जाएगी, जो पार्टी में चुनाव की मांग कर रहे थे। हालांकि, कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर फैसला बाद में किया जाएगा क्योंकि मौजूदा ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी का कार्यकाल 2022 तक है।

बंगाल चुनाव में मिली हार का ठिकरा अधीर रंजन पर

आपको याद दिला दें कि लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी पश्चिम बंगाल प्रदेश अध्यक्ष भी है। चौधरी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के धुर विरोधी माने जाते हैं। इसलिए चुनाव के दौरान उन्होंने ममता पर निशाना साधने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।

इस सबके बावजूद पार्टी चुनाव में अपना खाता तक खोलने में नाकाम रही। कांग्रेस ने लेफ्ट के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। प्रदेश कांग्रेस के दबाव के बावजूद पार्टी का कोई बड़ा नेता प्रचार के लिए नहीं गया। पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सिर्फ एक दिन प्रचार किया, पर तृणमूल कांग्रेस खासकर ममता बनर्जी पर हमला करने से परहेज किया।

तृणमूल से नजदीकी बढ़ाने के लिए अधीर रंजन चौधरी का जाना तय!

संसद का मानसून सत्र शुरू होने वाला है। लोकसभा में सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस को तृणमूल की जरुरत है। तृणमूल भी कांग्रेस को लेकर सरकार पर राज्यपाल को वापस बुलाने का दबाव बनाना चाहती है। ऐसे में दोनों पार्टियों के बीच तालमेल बढ़ सकता है। कांग्रेस की इस कोशिश को एनसीपी प्रमुख शरद पवार के घर पर हुई विपक्षी दलों की बैठक से भी जोड़कर देखा जा रहा है।

यह बैठक तृणमूल कांग्रेस के नेता यशवंत सिन्हा के राष्ट्र मंच के बैनर तले हुई थी। इसलिए, पार्टी ममता के साथ रिश्तों को बेहतर बनाना चाहती है। इस बीच, हार के कारणों की समीक्षा के लिए गठित अशोक चव्हाण समिति अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप चुकी है। प्रदेश कांग्रेस के कई नेता शर्मनाक हार के लिए अधीर रंजन चौधरी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

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