लोकसभा में कल पेश होगा संविधान संशोधन बिल, राज्य सरकार को मिलेगा किसी भी जाति को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने का अधिकार
लोकसभा में कल पेश होगा संविधान संशोधन बिल, राज्य सरकार को मिलेगा किसी भी जाति को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने का अधिकार

रायपुर। केंद्र सरकार कल मंगलवार को 127वां संविधान संशोधन बिल लोकसभा में ला रही है। जिसमे अब राज्य सरकार को किसी भी जाति को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने का अधिकार प्राप्त होगा। यह अधिकार मिलते ही छत्तीसगढ़ में सीपिया और झारिया महार समुदाय के लोगों को पिछड़ा वर्ग में शामिल किए जाने का रास्ता साफ हो जाएगा। बता दें अभी पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष सियाराम साहू के अनुसार अभी सीपिया और झारिया की जांच जारी है।

बता दें इन दोनों समुदाय ने पिछड़ा वर्ग आयोग को आवेदन दिया है। जल्द ही आयोग की ओर से इसका प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा जाएगा। साथ ही जानकारी के लिए बता दें यह अधिकार पहले केंद्र सरकार के पास थी।

50 बिंदुओं पर होती है इन्वेस्टिगेशन

किसी भी जाति को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने का मुख्य नियम है, अन्वेंषण यानी इन्वेस्टिगेशन। यह जांच आयोग की एक टीम निर्धारित 50 बिंदुओं पर करती है। यह जांच आयोग को आवेदन मिलने के बाद शुरू की जाती है। इसमें जिस समुदाय ने आवेदन दिया है, उसकी जांच कर रिपोर्ट तैयार होती है और उसे फिर राज्य सरकार को सौंपा जाता है।

इन बिंदुओं में होगा अन्वेंषण 

  • समुदाय के लोगों की आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति।
  • कितने लोग सरकारी नौकरी में हैं, किस ग्रेड की नौकरी कर रहे हैं।
  • उनके रहने का स्तर, कपड़े पहनने का तरीका।
  • वो शाकाहारी हैं कि मांसाहारी, किस तरह का भोजन करते हैं।
  • धार्मिक रीति रिवाज क्या है। किस देवी-देवता को मानते हैं यह भी पता लगाया जाता है।
  • भाषा, बोली क्या है। उनका रोटी-बेटी का रिश्ता किनसे होता है।
  • कहां रहते हैं मतलब जंगल, गांव, शहर या नदी-तालाब के किनारे।
  • मकानों का आर्किटेक्चर कैसा है जैसे बिंदुओं पर रिपोर्ट बनाई जाती है।

पिछले 3 साल में 8 जातियां पिछड़ा वर्ग में शामिल

सियाराम साहू के मुताबिक उन्होंने अपने 3 साल के कार्यकाल के दौरान 8 जातियों को पिछड़ा वर्ग में शामिल कराया है। इसमें गोसाई, गुरिया,मौवार, राजभर जैसी जातियां शामिल हैं। पिछड़ा वर्ग के लाभ मिलने से इन जातियों, समुदाय के लोगों का रहन-समय, सामाजिक-आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है।

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